भारत में सस्ती इलेक्ट्रिक कारें जरूरी, नहीं तो लोग पेट्रोल-डीजल कारों का मोह नहीं त्याग पाएंगे
भारत वैसे तो कहने को इलेक्ट्रिक कारों का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की तैयारी में है, लेकिन अब भी आईसी इंजन वाली कारें, यानी पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों के मुकाबले ईवी खरीदने वालों की संख्या काफी कम है और इसकी वजह है तुलनात्मक रूप से महंगी इलेक्ट्रिक कारें। ऐसे में किफायती इलेक्ट्रिक कार जरूरी हैं, जिनकी रेंज भी ठीक हो।
भारतीय बाजार में इस हफ्ते जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने 10 लाख रुपये से कम दाम में एमजी विंडसर ईवी लॉन्च की, जिसके बारे में कंपनी ने दावा किया कि यह आईसी इंजन और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन वाली कारों के अंतर को खत्म करने आई है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है। इसका जवाब है नहीं। जी हां, आप अगर 10 लाख रुपये तक की इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोचते हैं तो गिनती से 4 कारें नजर आती हैं, जिनमें नई विंडसर ईवी के साथ ही एमजी कॉमेट ईवी, टाटा पंच ईवी और टिगोर ईवी हैं। दरअसल, डीजल-पेट्रोल कारों के मुकाबले अब भी इलेक्ट्रिक कारें महंगी हैं। ऐसे में जरूरत है कि देश में सस्ती इलेक्ट्रिक कारें ज्यादा आएं, जिनसे नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को आने वाले समय में पूरा किया जा सके।
सस्ती इलेक्ट्रिक कारों की जरूरत क्यों?
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियां पारंपरिक पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में बहुत कम प्रदूषण करते हैं। इसके साथ ही एक और अहम बात यह है कि भारत बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जो कि देश के व्यापार घाटे में योगदान देता है। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाकर हम इस निर्भरता को कम कर सकते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सोलर और विंड एनर्जी से चार्ज किए जा सकते हैं, जो देश की एनर्जी सिक्यॉरिटी को बढ़ावा देते हैं। एक और जरूरी बात यह है कि इलेक्ट्रिक वीइकल इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। बैटरी निर्माण, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन इन क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।
सस्ती इलेक्ट्रिक कारें कैसे उपलब्ध हो सकती हैं?
अब सवाल उठता है कि भारत में सस्ते इलेक्ट्रिक वाहन कैसे उपलब्ध होंगे तो इसके लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी मिले, जिससे उनकी कीमतों को कम किया जा सके। साथ ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का लोकल प्रोडक्शन बढ़ाकर उनकी कीमतों को कम किया जा सकता है। देश भर में चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क विकसित करके लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इन सबके बीच सबसे जरूरी है कि बैटरी टेक्नॉलजी में निवेश करके बैटरी की कीमतों को कम किया जाए, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें भी कम होंगी।
नितिन गडकरी का खास जोर
आपको बता दें इसी हफ्ते केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वीइकल मार्केट साल 2030 तक एक करोड़ इकाई सालाना बिक्री के आंकड़े को छू लेगा और इससे 5 करोड़ नौकरियों के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय ईवी बाजार की क्षमता 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है।