Airtel, Jio, Vi और BSNL के रिचार्ज फिर होंगे महंगे? सरकार के कदम से बढ़ेगी मुसीबत
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Trai fine on Airtel Jio Vi BSNL: TRAI की ओर से टेलिकॉम कंपनियों Airtel, Jio, Vi, BSNL के जुर्माने को वसूलने के लिए बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो टेलिकॉम कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, और वो आने वाले दिनों में रिचार्ज प्लान महंगे कर सकती हैं।
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मोबाइल यूजर्स पर क्या होगा इसका असर?
इस मामले में टेलिकॉम कंपनियों की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। हालांकि यह भी सच है कि जुर्माना की रकम को अंतिम उपभोक्ता मोबाइल यूजर्स से ही वसूला जाता है। हाल ही में जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की तरफ से एवरेज रेवेन्यू पर यूजर यानी ARPU को बढ़ाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों ने मोबाइल रिजार्ज प्लान महंगे किये हैं।
जुर्माना वसूलने का ऑफ्टर इफेक्ट
हालांकि अगर सरकार टेलिकॉम कंपनियों से जबरदस्ती जुर्माना वसूलती है, तो टेलिकॉम कंपनियों की ओर से मोबाइल रिचार्ज प्लान महंगा करके जुर्माने की रकम को वसूला जाएगा। वैसे तो, यह जुर्माना सीधे तौर पर मोबाइल यूजर्स पर नहीं लगाया जाएगा, लेकिन आज तक के इतिहास का सच यही है कि जब भी टेलिकॉम कंपनियों को घाटा होता है, या फिर उन्हें 5G या फिर किसी नई टेक्नोलॉजी में निवेश करना होता है, तो टेलिकॉम कंपनियों की ओर से मोबाइल रिचार्ज की कीमत को बढ़ा दिया जाता है।
सरकार का मामले में दखल से इनकार
जब टेलिकॉम कंपनियों की ओर से बिना कोई ठोक वजह बताकर मोबाइल रिचार्ज प्लान महंगा कर दिया जाता है, तो सरकार इस मामले में दखल देने से इनकार कर देती है। जियो और एयरटेल की ओर से बीते 3 जुलाई को टैरिफ प्लान में इजाफा किया गया था, जबकि एक दिन बाद 4 जुलाई को वोडाफोन-आइडिया ने अपने रिचार्ज प्लान को महंगा कर दिया था। जब मामला सोशल मीडिया से होते हुए सरकार के पास पहुंचा, तो सरकार ने इस मामले में दखल से साफ इनकार कर दिया था।
किस पर कितना जुर्माना
रिपोर्ट की मानें, तो टेलिकॉम कंपनियों की बैंक गारंटी से करीब 115 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला जा सकता है। बता दें कि पिछले 8 से 10 साल में बीएसएनएल और एमटीएनएल पर साझा तौर पर स्पैम कॉल को लेकर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वही भारती एयरटेल पर जुर्माने के तौर पर 20 करोड़ रुपये बकाया है। इसी तरह वोडाफोन आइडिया को 15 करोड़ रुपये देने हैं, जबकि रिलायंस जियो पर जुर्माने के 12 करोड़ रुपये बकाया है।
रिमाइंडर के बाद पेमेंट नहीं
एक रिपोर्ट की माने, तो प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों की ओर से 10 महीने से लेकर तीन साल तक जुर्माना नहीं चुकाया है। साथ ही जब भी इस मामले में जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल ने सवाल किया गया है, तो उनकी तरफ से कोई जबाव नहीं मिला है। ट्राई की ओर से इस मामले में टेलिकॉम कंपनियों को कई साल से रिमाइंडर दिया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद टेलिकॉम कंपनियों की ओर से कोई बकाया राशि का पेमेंट नहीं किया गया है। ऐसे में ट्राई ने बैंक गारंटी के पैसों से बकाया राशि वसूलने का सुझाव DoT को दिया है।
टेलिकॉम ऑपरेटर का क्या है तर्क
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रिपोर्ट की मानें, तो इस मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टेलिकॉम कंपनियों ने ट्राई से अपील की है कि उन्हें स्पैप कॉल और मैसेज को लेकर टेलिकॉम कंपनियों पर जुर्माना नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि वो स्पैम क़ल और मैसेज को बढ़ावा नहीं देते हैं। साथ ही उनकी तरफ से फेक मैसेज और कॉल को जनरेट नहीं किया गया है। फेक मैसेज और कॉल के ओरिजन सोर्स टेलिकॉम कंपनियां नहीं हैं। टेलिकॉम कंपनियां खुद इस मामले में सरकार के साथ मिलकर स्पैम कॉल और मैसेज को रोकने पर काम कर रही हैं। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी टेलीमार्केटर्स या अन्य कॉर्पोरेट संस्थाओं पर डालना चाहिए।
क्या है ट्राई का कहना?
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वही ट्राई का तर्क है कि दूरसंचार कंपनियां अनचाहे कॉल और स्पैम को रोकने के उपाय करने के लिए पूरी तरह से बाध्य हैं। ऐसे में अगर टेलिकॉम कंपनियां इस काम में सफल नहीं होती हैं, तो उन पर कानूनन जुर्माना लगाया जाना चाहिए। ट्राई की ओरसे स्पैम और फिशिंग पर अंकुश लगाने के लिए दूरसंचार कंपनियों को कई निर्देश जारी किये हैं। लेकिन दूरसंचार कंपनियों ने सभी निर्देशों को लागू नहीं किया है।
ट्राई ने हाल ही में अनरजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को ब्लॉक करने की डेडलाइन को बढ़ाकर 1 अक्टूबर 2024 किया है।