वैदिक ज्योतिष

नाम, जन्म दिनांक, जन्म समय, जन्म स्थान के आधार पर जन्म कुंडली का ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, विमशोत्तरी दशा और गोचर के आधार पर किसी भी व्यक्ति के जीवन से जुड़ी समस्याओं, निर्णयों या भविष्य की संभावनाओं पर मार्गदर्शन देना। इसमें विवाह, नौकरी, व्यापार, शिक्षा, संतान, विदेश यात्रा आदि विषयों पर सलाह दी जाती है।

शुभ मुहूर्त वह समय होता है जो किसी कार्य की शुरुआत के लिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सबसे अनुकूल और फलदायक माना जाता है। इस समय में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति ऐसी होती है जो कार्य की सफलता, सुख-समृद्धि और बाधा रहित संपन्नता को बढ़ावा देती है। शुभ मुहूर्त का चयन विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, वाहन खरीद, व्यापार आरंभ आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है।

विशेष दोषों के निवारण हेतु की जाने वाली पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए होती है जिनकी कुंडली में मंगल दोष, कालसर्प दोष, या पितृ दोष जैसे ग्रहदोष होते हैं। इन पूजाओं का उद्देश्य जीवन में आ रही बाधाओं, अशुभ प्रभावों और मानसिक/भौतिक परेशानियों को दूर करना होता है। इन पूजाओं का संचालन विद्वान पंडितों द्वारा विशेष विधि-विधान और मंत्रों से किया जाता है।