जन्म कुंडली
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जन्म कुंडली क्या है?
जन्म कुंडली (Janm Kundali), जिसे 'कुंडली', 'जन्म पत्रिका', या 'Horoscope' भी कहा जाता है, वह एक खगोलीय नक्शा (Astrological Chart) होता है जो व्यक्ति के जन्म के समय, तिथि और स्थान के अनुसार आकाश में ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। यह वैदिक ज्योतिष का मूल आधार है और किसी भी जातक के जीवन के विश्लेषण, भविष्यवाणी, और दिशा-निर्देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
जन्म कुंडली में क्या-क्या रहता है?
जन्म कुंडली निम्नलिखित प्रमुख हिस्सों से मिलकर बनी होती है:
1. लग्न (Ascendant या First House) यह उस राशि को दर्शाता है जो व्यक्ति के जन्म के समय पूर्व दिशा में उदित हो रही थी। यही कुंडली का मुख्य केन्द्र (मुख्य द्वार) होता है। लग्न व्यक्ति का शरीर, व्यक्तित्व और जीवन की दिशा तय करता है। 2. बारह भाव (12 Houses) कुंडली को 12 भागों में बाँटा जाता है, जिन्हें "भाव" कहते हैं। हर भाव जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को दर्शाता है: भाव संख्या भाव का नाम अर्थ 1 लग्न भाव शरीर, स्वभाव, जीवन की दिशा 2 धन भाव धन, वाणी, परिवार 3 पराक्रम भाव साहस, छोटे भाई-बहन 4 सुख भाव माता, वाहन, घर 5 संतान भाव संतान, विद्या, प्रेम 6 ऋण भाव रोग, ऋण, शत्रु 7 विवाह भाव जीवनसाथी, साझेदारी 8 आयु भाव मृत्यु, गुप्त विषय 9 भाग्य भाव भाग्य, धर्म, यात्रा 10 कर्म भाव करियर, प्रतिष्ठा 11 लाभ भाव लाभ, आय 12 व्यय भाव हानि, मोक्ष, विदेश यात्रा 3. ग्रहों की स्थिति (Planets’ Placement) नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) जन्म के समय किन-किन राशियों में और किस भाव में स्थित थे, यह कुंडली में दर्शाया जाता है। हर ग्रह का विशेष प्रभाव होता है, जैसे: शनि - कर्म, न्याय, विलंब गुरु - ज्ञान, धन, धर्म मंगल - ऊर्जा, साहस, भूमि शुक्र - कला, विवाह, विलास राहु-केतु - छाया ग्रह, भ्रम, कर्म फल 4. राशियाँ (Zodiac Signs) कुंडली में 12 राशियाँ होती हैं: मेष से मीन तक। हर भाव में एक राशि आती है और उस राशि के स्वामी ग्रह का भी असर रहता है। 5. दशा प्रणाली (Vimshottari Dasha System) यह प्रणाली बताती है कि जातक के जीवन में किस काल में कौन-सा ग्रह प्रभावी रहेगा और उसका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण: यदि अभी "शनि महादशा" चल रही है, तो उस समय शनि का विशेष प्रभाव रहेगा। 6. गोचर (Transit) ग्रह जन्म के समय जहां थे, वहीं से जब आगे बढ़ते हैं तो उसे गोचर कहते हैं। इसका भी वर्तमान जीवन पर प्रभाव होता है। 🌟 कुंडली क्यों बनवानी चाहिए? विवाह योग और अनुकूलता देखने के लिए करियर और नौकरी की दिशा जानने के लिए संतान, शिक्षा, स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए ग्रहों के दोष और उनके समाधान (उपाय) के लिए जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की पूर्व जानकारी के लिए
जन्म कुंडली (Janm Kundali), जिसे 'कुंडली', 'जन्म पत्रिका', या 'Horoscope' भी कहा जाता है, वह एक खगोलीय नक्शा (Astrological Chart) होता है जो व्यक्ति के जन्म के समय, तिथि और स्थान के अनुसार आकाश में ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। यह वैदिक ज्योतिष का मूल आधार है और किसी भी जातक के जीवन के विश्लेषण, भविष्यवाणी, और दिशा-निर्देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
जन्म कुंडली में क्या-क्या रहता है?
जन्म कुंडली निम्नलिखित प्रमुख हिस्सों से मिलकर बनी होती है:
1. लग्न (Ascendant या First House) यह उस राशि को दर्शाता है जो व्यक्ति के जन्म के समय पूर्व दिशा में उदित हो रही थी। यही कुंडली का मुख्य केन्द्र (मुख्य द्वार) होता है। लग्न व्यक्ति का शरीर, व्यक्तित्व और जीवन की दिशा तय करता है। 2. बारह भाव (12 Houses) कुंडली को 12 भागों में बाँटा जाता है, जिन्हें "भाव" कहते हैं। हर भाव जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को दर्शाता है: भाव संख्या भाव का नाम अर्थ 1 लग्न भाव शरीर, स्वभाव, जीवन की दिशा 2 धन भाव धन, वाणी, परिवार 3 पराक्रम भाव साहस, छोटे भाई-बहन 4 सुख भाव माता, वाहन, घर 5 संतान भाव संतान, विद्या, प्रेम 6 ऋण भाव रोग, ऋण, शत्रु 7 विवाह भाव जीवनसाथी, साझेदारी 8 आयु भाव मृत्यु, गुप्त विषय 9 भाग्य भाव भाग्य, धर्म, यात्रा 10 कर्म भाव करियर, प्रतिष्ठा 11 लाभ भाव लाभ, आय 12 व्यय भाव हानि, मोक्ष, विदेश यात्रा 3. ग्रहों की स्थिति (Planets’ Placement) नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) जन्म के समय किन-किन राशियों में और किस भाव में स्थित थे, यह कुंडली में दर्शाया जाता है। हर ग्रह का विशेष प्रभाव होता है, जैसे: शनि - कर्म, न्याय, विलंब गुरु - ज्ञान, धन, धर्म मंगल - ऊर्जा, साहस, भूमि शुक्र - कला, विवाह, विलास राहु-केतु - छाया ग्रह, भ्रम, कर्म फल 4. राशियाँ (Zodiac Signs) कुंडली में 12 राशियाँ होती हैं: मेष से मीन तक। हर भाव में एक राशि आती है और उस राशि के स्वामी ग्रह का भी असर रहता है। 5. दशा प्रणाली (Vimshottari Dasha System) यह प्रणाली बताती है कि जातक के जीवन में किस काल में कौन-सा ग्रह प्रभावी रहेगा और उसका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण: यदि अभी "शनि महादशा" चल रही है, तो उस समय शनि का विशेष प्रभाव रहेगा। 6. गोचर (Transit) ग्रह जन्म के समय जहां थे, वहीं से जब आगे बढ़ते हैं तो उसे गोचर कहते हैं। इसका भी वर्तमान जीवन पर प्रभाव होता है। 🌟 कुंडली क्यों बनवानी चाहिए? विवाह योग और अनुकूलता देखने के लिए करियर और नौकरी की दिशा जानने के लिए संतान, शिक्षा, स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए ग्रहों के दोष और उनके समाधान (उपाय) के लिए जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की पूर्व जानकारी के लिए