एक छोटी सी दूकान से एवरेस्ट मसालों को करोड़ों का ब्रांड बनाने के पीछे वाडीलाल शाह उर्फ़ जामनगर के वाडीकाका (Everest Masala Owner Vadilal Shah) की कड़ी मेहनत है.
छोटी सी दूकान से हुई थी एवरेस्ट मसालों की शुरुआत, जानें कैसे खड़ा हुआ करोड़ों का कारोबार
भारत के दिग्गज मसाले ब्रांड्स एवरेस्ट (Everest Masala) और एमडीएच मसालों (MDH Masala) की गुणवत्ता पर सवाल उठाये जा रहे हैं. सिंगापुर और हांगकांग में जांच के बाद इन मसालों में एथिलीन ऑक्साइड अधिक मात्रा मिली. जिसके बाद इन्हें बाजार से हटाने के आदेश दे दिए गए. भारत में भी इन मसालों की गुणवत्ता की जांच शुरू हो गई. आज भले ही यह ब्रांड सवालों के घेरे में है, लेकिन इसकी सफलता की कहानी प्रेरणादायक है.
कैसे हुई थी एवरेस्ट मसालों की शुरुआत?
एक छोटी सी दूकान से एवरेस्ट मसालों को करोड़ों का ब्रांड बनाने के पीछे वाडीलाल शाह उर्फ़ जामनगर के वाडीकाका (Everest Masala Owner Vadilal Shah) की कड़ी मेहनत है. गुजरात के जामनगर में जन्में वाडीलाल शाह ने अपने पिता की मसालों की दुकान पर काम करते थे.
काम करने के दौरान यह गौर किया कि मसाले खरीदते समय महिलाएं कोई कॉम्बिनेशन को फॉलो नहीं करती. जिसके बाद उनके दिमाग में आईडिया आया कि क्यों न कम्पलीट मसाला पैक तैयार करके महिलाओं को दिया जाए.
कितना है कंपनी का टर्नओवर
साल 1967 में वाडीलाल शाह ने एवरेस्ट मसाले की शुरुआत की. एक छोटी सी दुकान पर वे मसाले तैयार करके बेचा करते थे. आज उनके मसाले केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किये जाते हैं. आज कंपनी का टर्नओवर लगभग 2500 करोड़ रुपये पहुंच गया है. लेकिन हाल ही में शुरू हुए विवाद के बाद कंपनी की साख प्रभावित हुई है.
क्या है विवाद
एवरेस्ट और एमडीएच मसालों पर हांगकांग और सिंगापुर में बैन लगा दिया गया है. इसके साथ ही इन मसालों को बाजार से हटाने के आदेश भी जारी हो गए हैं. जिसके बाद भारत सरकार ने भी इन दोनों मसालों के साथ अन्य मसालों के ब्रांड्स के भी सैंपल चेक करने के लिए भेज दिए हैं.
एवरेस्ट और एमडीएच मसालों के कुछ पैकेट में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड की अधिक मात्रा पाए जाने के कारण ये विवाद शुरू हुआ. जिसके बाद हांगकांग और सिंगापुर में ग्राहकों से इन्हें खरीदने और व्यापारियों इन्हें बेचने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए.