योग फल - अतिगण्ड योग
योग, मूल रूप से, सूर्य और चंद्रमा के संयोजन का उल्लेख करते हैं, जब एक नक्षत्र में जन्म होता है। वैदिक ज्योतिष में प्रतिपादित सत्ताईस नक्षत्रों के आधार पर कुल 27 विभिन्न योग हैं। ज्योतिषीय संयोजन या निति योग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व लक्षणों को समझने में मदद करते हैं। नित्य योग की गणना गणितीय रूप से चंद्रमा और सूर्य के अनुदैर्ध्य को जोड़कर की जाती है और योग को 13 डिग्री और 20 मिनट से विभाजित किया जाता है।
अतिगण्ड योग :
वैदिक ज्योतिष में अतिगण्ड योग की अशुभ योगों में मान्यता है। सामान्यतः अतिगण्ड योग में जन्मे लोग सिनेमा, संगीत, एवं अन्य मनोरंजक विधाओं की ओर अधिक आकृष्ट होते हैं एवं विशेष रूचि रखतें हैं। अतिगण्ड योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को यदि जन्म समय जन्म कुंडली में अन्य शुभ योगों का सहयोग प्राप्त हो रहा है, तो बुरे प्रभावों में कमी एवं शुभ फलों में वृद्धि देखी जा सकती है, अन्यथा इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व के विषय में माना जाता है, कि अतिगण्ड में जन्मे व्यक्ति का व्यवहार इस प्रकार का होता है, जिससे इनके परिवार के सम्मान को क्षति होती है। इस योग में जिन लोगों का जन्म होता है, उनकी माता को दुखों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतिगण्ड में गण्डान्त योग निर्मित होने पर जन्म लेने वाला व्यक्ति पाप कर्मो को विशेषतः हिंसक कर्मो को करने वाला हो सकता है। अतिगण्ड योग में जन्मा व्यक्ति आसानी से किसी के भी प्रभाव में नहीं आते, अर्थात जब ये कोई धारणा बना लेतें हैं तो उससे मुक्त होना नहीं चाहते। इस प्रकार इस योग में जन्मे कुछ लोगों के स्वभाव में बदला लेने की प्रवृति भी दृष्टिगत होती है। इनकी लड़ाई झगड़ो एवं हिंसक प्रवृतियों से न्याय प्राप्त करने की एक भ्रामक मनोस्तिथि होती है। इस योग में स्तिथियाँ कठिन होने पर अर्थात कठिन समय में ओर बिगड़ते देखी जा सकती हैं। इस प्रकार कुछ विशेष परिस्थितिओं को छोड़कर अन्य अवस्थाओं में ये योग, अधिक बुरे या ऋणात्मक परिणामो को प्राप्त करने वाला योग हैं।