राज्य की सड़कों को चालकों और पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित बनाने की कोशिश में, केरल राज्य सरकार ने ड्राइविंग स्कूलों के सभी वाहनों में
डैशकैम लगाने का फैसला किया है।
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राज्य की सड़कों को चालकों और पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित बनाने की कोशिश में, केरल राज्य सरकार ने उन सभी वाहनों में डैशकैम लगाने का फैसला किया है। जिनका इस्तेमाल नए ड्राइवरों को प्रशिक्षण देने और ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले उनकी ड्राइविंग स्किल की टेस्टिंग के लिए किया जाता है। हालांकि, इस कदम का ड्राइविंग स्कूल यूनियन ने विरोध किया था। लेकिन सरकार ने हाल ही में एलान किया है कि इस मामले में उनके साथ एक समझौता हो गया है।
सड़क सुरक्षा की जरूरत पर जोर देते हुए, केरल सरकार ने आग्रह किया है कि शिक्षार्थी और टेस्ट लेने वाले वाहन में होने वाली सभी गतिविधियों की निगरानी डैशकैम का इस्तेमाल करके की जाए। सरकार ने पहले यह भी निर्देश दिया था कि 15 साल से ज्यादा पुरानी किसी भी गाड़ी का इस्तेमाल ड्राइविंग टेस्ट या प्रैक्टिस के लिए नहीं किया जा सकता है। लेकिन अब इस नियम को थोड़ा ढील देकर 18 साल तक की गाड़ियों को अनुमति दे दी गई है।
ड्राइविंग स्कूल यूनियन ने राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अब सरकार ने अपने निर्देशों में संशोधन किया है। और राज्य में ड्राइविंग स्कूलों और टेस्ट वाहनों में डैशकैम लगाने और खरीदने का काम MVD (मोटर वाहन विभाग) करेगा।
राज्य परिवहन मंत्री केबी गणेश कुमार ने कहा, "हड़ताल खत्म हो गई है और सभी ने सरकार के साथ सहयोग किया है। लाइसेंस की संख्या कोई मुद्दा नहीं है, लाइसेंस की गुणवत्ता ही मुद्दा है। हमने दुर्घटनाओं से बचने के लिए ड्राइविंग क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा देने का फैसला किया है। यह सड़क सुरक्षा में पहली चीज है। ड्राइविंग टेस्ट बहुत सख्त होंगे और हम डैशबोर्ड कैमरों में सब कुछ रिकॉर्ड करेंगे। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।"
सरकार के सर्कुलर के मुताबिक, आवेदक को लाइसेंस हासिल करने के लिए कई रियल-लाइफ ड्राइविंग चुनौतियों से गुजरना होगा और पास होना होगा। सर्कुलर में जमीन पर 'एच' टेस्ट आयोजित करने से पहले व्यस्त ट्रैफिक वाली सड़क पर रोड टेस्ट कराना और एंगुलर पार्किंग, पैरेलल पार्किंग, जिग-जैग ड्राइविंग और ग्रेडिएंट टेस्टिंग पर टेस्ट कराना अनिवार्य कर दिया गया। साथ ही यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि हर दिन सिर्फ 30 ड्राइविंग टेस्ट होंगे, जिनमें 20 नए और 10 पहले असफल हुए बैच से लिए जा सकते हैं।
भारत में दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं के सबसे ज्यादा मामले हैं। और विशेषज्ञों का मानना है कि इस गंभीर चिंता को दूर करने के महत्वपूर्ण तरीकों में से एक युवा ड्राइवरों के लिए उचित प्रशिक्षण सुनिश्चित करना और आम लोगों में सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।