02 Oct 2023 संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत आश्विन कृष्ण 3

माता पार्वती के पुत्र गणपति को पूरी दुनिया में प्रथम पूजनीय का दर्जा प्राप्त है. कोई भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले गणेशजी की ही आराधना की जाती है.


गणेश जी संकटमोचन, विघ्नहर्ता है. कहते है किसी भी परेशानी, तकलीफ, संकट में इनकी आराधना करने से परेशानियों का अंत हो जाता है. गणेश जी का व्रत बहुत फलदायी होता है, ये हर चतुर्थी को रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने में 2 चतुर्थी आती है -
01- विनायक चतुर्थी
02- संकष्टी चतुर्थी

हर महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन विनायक चतुर्थी आती है, एवं हर महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन संकष्टी चतुर्थी आती है. अगर संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन आती है, तो इसे बहुत मान्यता दी जाती है, इसे अंगार की संकष्टी चतुर्थी कहते है. सभी संकष्टी चतुर्थी में इसे विशेष महत्व दिया जाता है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत की महिमा -
नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुननी चाहिए। रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर भोजन करना चाहिए। इस दिन गणेश जी का व्रत-पूजन करने से धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है और समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की विधि

  • सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लें. इस दिन पूरा दिन का उपवास रखा जाता है, शाम की पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते है.
  • स्नान के बाद गणेश जी की पूज आराधना करें, गणेश जी के मन्त्र का उच्चारण करें.
  • पूरा दिन बिना पानी व खाने का उपवास रखा जाता है, जो ये कठिन उपवास नहीं कर सकता है, वह दिन में साबूदाना, आलू, मूंगफली, मिठाई खा सकता है.
  • शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है, अगर बादल के चलते चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचांग के हिसाब से चंद्रोदय के समय में पूजा कर लें.
  • शाम के पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति के बाजु में दुर्गा जी की भी फोटो या मूर्ति रखें, इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है.
  • मूर्ति/फोटो पर धुप, दीप, अगरबत्ती लगाएँ, फुल से सजाएँ एवं प्रसाद में केला, नारियल रखें.
  • गणेश जी के प्रिय मोदक बनाकर रखें, इस दिन तिल या गुड़ के मोदक बनाये जाते है,
  • गणेश जी के मन्त्र का जाप करते हुए कुछ मिनट का ध्यान करें, कथा सुने, आरती करें, प्रार्थना करें.
  • इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करें, उन्हें जल अर्पण कर फुल, चन्दन, चावल चढ़ाएं.
  • पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद सबको वितरित किया जाता है.
  • गरीबों को दान भी किया जाता है.
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