सप्ताह में एक दिन उपवास जानिए इसका धार्मिक महत्व
प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों की तपस्या का प्रमुख अंग उपवास ही हुआ करता था। बड़े-बड़े धर्माचार्य बहुत दिनों तक उपवास करके अपने भक्तों और अनुयायियों को इसका लाभ बताते थे। ",
हिन्दू धर्म में व्रत-उपवास रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धर्म में अपनी आस्था और विश्वास रखने वाले आज भी किसी न किसी पर्व-त्योहार के अवसर पर व्रत-उपवास रखते हैं। व्रत-उपवास रखने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण बताए गए हैं। परंतु रोजमर्रा की भागदौड़ वाली जिंदगी में कामकाजी लोगों का इसके प्रति रुझान कम दीखता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी व्रत-उपवास रखना अच्छे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। इसलिए डॉक्टर भी सप्ताह में एक बार व्रत-उपवास करने की सलाह देते हैं।
आगे हम व्रत-उपवास रखने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को जानते हैं। धर्म शास्त्रों में मन की निर्मलता के लिए व्रत-उपवास रखना अच्छा माना गया है। क्योंकि व्रत रखने से शरीर में स्फूर्ति और चपलता बढ़ती है। साथ ही उपवास रखने वाले का आत्मबल भी बढ़ता है। इसके अलावा शरीर स्वस्थ होने पर व्यक्ति की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। इतना ही नहीं डॉक्टर भी ऐसी सलाह देते हैं कि सप्ताह में एक दिन उपवास रखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पाचन क्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे पाचन तंत्र सही रहता है। वहीं व्रत के प्रभाव से चिंता, मानसिक दबाव और परेशनियों से पैदा हुए रोगों के इलाज में होने वाले अनावश्यक खर्च से व्यक्ति बचता है। इसके साथ ही व्रत-उपवास का धार्मिक महत्व भी बेहद खास बताया गया है। कहते हैं कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों की तपस्या का प्रमुख अंग उपवास ही हुआ करता था। बड़े-बड़े धर्माचार्य बहुत दिनों तक उपवास करके अपने भक्तों और अनुयायियों को इसका लाभ बताते थे। उपवास का आध्यात्मिक उपयोग, नैतिक बुद्धि की जागृति और आत्मिक-मानसिक शुद्धि के लिए किया जाता है। इसलिए धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से व्रत-उपवास रखना लाभकारी माना जाता है।