शास्त्रों में बताए गए कुछ पापों को करने से बचना चाहिए,
कर्म ही पूजा है और कर्म से ही इंसान के भाग्य के निर्धारण होता है।
अपने हित को ध्यान में रखते हुए इंसान को हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए हालांकि जाने अंजाने में ही सही कभी-कभार हमसे गलती हो ही जाती है
लेकिन फिर बाद में गलती का एहसास होने पर कुछ विधियों द्वारा प्रायश्चित्त करने पर हमें उन बुरे कर्मो के प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है। हम जानते हैं । शिवरात्रि के दिन एकाग्रचित्त और पवित्र विचारों के साथ महादेव की पूजा करने से इंसान को समस्त परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। हालांकि शिवजी के भक्तों को शास्त्रों में बताए गए कुछ पापों को करने से बचना चाहिए, वर्ना लाख पूजा करने के बाद भी शिवजी क्षमा नहीं करते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे महापापों के बारे में बताएंगे जिसका वर्णन महाभारत, शिवपुराण और गरुड़ पुराण में भी किया गया है।
ये ऐसे महापाप है जिसे करने से उस व्यक्ति को किसी भी देवी-देवता की कृपा नहीं मिल पाती है और आजीवन उसे दुखी रहना पड़ता है। इन दस पापों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
- पहला पाप किसी भी स्त्री का अपमान करना पाप है लेकिन किसी गर्भवती या मासिक धर्म से पीडि़त महिला को बुरा बोलना या फिर उनक अपमान करना महापाप है। ऐसा करने वालों को शिवजी या कोई भी देवी-देवता कभी क्षमा नहीं करते हैं।
- दूसरा पाप दूसरों के धन के ऊपर लोभ दृष्टि देना या फिर उसे पाने की इच्छा मन में दबाएं रखना महापाप है।
- तीसरा पाप किसी भी निष्पाप इंसान या फिर किसी भी जीव को बेवजह कष्ट पहुचांना या फिर उसके किसी कार्य में बाधा उत्पन्न करना भी महापाप की श्रेणी में आता है।
- चौथा पाप किसी चीज़ के बारे में सही-गलत का ज्ञान होने के बावजूद भी उस कार्य को करने से उसकी क्षमा आपको लाख भगवान की आराधना करने पर भी नहीं मिलेगी।
- पांचवां पाप पराई स्त्री या पुरूष पर बुरी नज़र डालना या फिर उनके बारे में गलत सोचना या फिर उन्हें पाने की कोशिश करना महापाप है।
- छठा पाप दूसरों के मान-सम्मान को नुकसान पहुंचने की नीयत से झूठ बोलना या छल-कपट करना, षडय़ंत्र रचना महापाप है।
- सातवां पाप बच्चों, महिलाओं या अपने से कमजोर व्यक्ति या जीव के खिलाफ हिंसा महापाप है।
- आठवां पाप मंदिरों के सामानों की चोरी भी महापाप है।
- नवां पाप अपने गुरूजनों या पूर्वजों का अपमान करने वालों को भी ईश्वर की क्षमा प्राप्ति नहीं हो पाती है।
- दसवां पाप दान दी हुई किसी चीज़ को वापस मांगना भी महापाप के अंतर्गत आता है।