जगन्नाथ की मूर्ति से कृष्ण का सम्बन्ध
उड़ीसा में स्तिथ जगन्नाथ मंदिर भारत में वैष्णव भक्तो के लिए एक बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है | इस मंदिर का सम्बन्ध विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है | जगन्नाथ पुरी का मंदिर अपने दस से भी ज्यादा चमत्कारों के लिए जाना जाता है | यह भारत में हिन्दू धर्म के 4 धामों में से एक है । यहा लगी प्रतिमा के अन्दर भगवान श्री कृष्ण का दिल है जो कलियुग में एक लकड़ी के लट्टे का आकार ले चूका है | आइये जानते है इसके पीछे की लोक कथा
कृष्ण का ह्रदय है जग्गनाथ की मूर्ति में
ऐसा माना जाता है की कृष्ण भगवान के ह्रदय में ब्रह्मा का वास है | जब श्री कृष्ण की मृत्यु हुई तब पांडवों ने उनके शरीर का दाह-संस्कार किया | अचरज वाली बात यह थी की कृष्ण का नश्वर शरीर आग में स्वाहा हो गया पर उनका ह्रदय जलता रहा | ईश्वर के आदेशानुसार पांडवो ने उनके उस जलते हुए ह्रदय को बहते जल में प्रवाहित कर दिया | जिसमे बाद में एक लट्ठे का रूप धारण कर लिया |
यह लट्टा जगन्नाथ के परम भक्त राजा इन्द्रद्युम्न को मिला , और उन्होंने इसे जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्थापित कर दिया | हर 12 साल में जगन्नाथ भगवान की मूर्ति बदली जाती है और नयी मूर्ति में इस लट्टे को रखा जाता है |
लट्टे से जुड़ा है विशेष नियम
इस लट्टे के साथ एक अत्यंत जरुरी नियम जुड़ा हुआ है | इसे देखना और छूना जानलेवा बताया जाता है | अत: जब मंदिर का पुजारी इसे पुरानी मूर्ति से नयी मूर्ति में स्थापित करता है तो उस समय उसे अपनी आँखों पर पट्टी बंधी रहती है और हाथ पर कपड़ा रहता है |
उड़ीसा सरकार द्वारा पूरे शहर की बिजली बाधित कर दी जाती है जिससे की इस लट्टे को कोई देख नही पाए |