पौराणिक कहानियां-अर्जुन और उर्वशी कथा
पाण्डव वनवास का जीवन व्यतीत कर रहे थे। भगवान व्यास की प्रेरणा से अर्जुन अपने भाइयों की आज्ञा लेकर तपस्या करने गए। तप करके उन्होंने भगवान शंकर को प्रसन्न किया, आशुतोष ने उन्हें अपना पाशुपतास्त्र प्रदान किया। इसके अनन्तर देवराज इन्द्र अपने रथ में बैठाकर अर्जुन को स्वर्गलोक ले गए। इन्द्र ने तथा अन्य लोकपालों ने भी अपने दिव्यास्त्र अर्जुन को दिए। उन दिव्यास्त्रों को लेकर अर्जुन ने देवताओं के शत्रु निवातकवच नामक असुरगणों पर आक्रमण कर दिया। देवता भी उन असुरों पर विजय पाने में असमर्थ रहे थे, उन असुरों के बार-बार आक्रमण से देवता संत्रस्त हो रहे थे। अर्जुन ने युद्ध में असुरों को पराजित कर दिया। उनके गाण्डीव (धनुष) से छूटे बाणों की मार से व्याकुल होकर असुर भाग खड़े हुए और पाताल लोक चले गए।