पाषाण भेद के ज़बरदस्त फायदे

पाषाण भेद के ज़बरदस्त फायदे

पाषाणभेद मधुर, कटु, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण तथा त्रिदोषहर होता है। यह सारक, अश्मरी-भेदक, वस्तिशोधक तथा मूत्रविरेचक होता है। यह अर्श, गुल्म, मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, हृद्रोग, योनिरोग, प्रमेह, प्लीहारोग, शूल, व्रण, दाह, शिश्नशूल तथा अतिसार-नाशक होता है। इसका पौधा पूयरोधी, तिक्त तथा कषाय होता है। यह स्नायुरोग, अधरांगवात, गृध्रसी, व्रण, ग्रन्थिशोथ, विषाक्तता, कण्डु तथा कुष्ठ में लाभप्रद होता है।

पाषाणभेद के फायदे और उपयोग
पाषाणभेद को मुख्य रूप से पथरी के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी सहायक है। आइये पाषाणभेद के फायदों और उपयोग केतारीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं :

आंखों के रोगों को दूर करता है पाषाणभेद
आंखों से जुड़े रोगों के इलाज में भी पाषाणभेद बहुत उपयोगी है। इसके लिए पाषाणभेद के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लगाएं। इसे लगाने से अभिष्यंद (आंखों में जलन और पानी बहने की समस्या) में लाभ मिलता है।

कान के दर्द से आराम दिलाता है पाषाणभेद
अगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो पाषाणभेद के उपयोग से आप दर्द से राहत पा सकते हैं. इसके लिए पाषाणभेद की पत्तियों के रस की एक-दो बूंदें कान में डालें तो इससे दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

पथरी की समस्या दूर करता है पाषाणभेद

  • पाषाणभेद चूर्ण में सोलह गुना गोमूत्र तथा चार गुना घी मिलाकर विधिवत् सिद्ध करके सेवन करने से पथरी के इलाज में मदद मिलती है।
  • पाषाणभेद की पत्तियों के रस की 5 एमएल मात्रा को बताशे में डालकर खाने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
  • 20-30 मिली पाषाणभेद काढ़े में शिलाजीत, खाँड़ या मिश्री मिलाकर पीने से पित्तज पथरी के इलाज में फायदा मिलता है।
  • 2-4 ग्राम पाषाणभेद चूर्ण को शिलाजीत तथा मिश्री मिले हुए दूध के साथ पीने से पित्त की पथरी (पित्ताश्मरी) के इलाज में मदद मिलती है।
  • समभाग पाषाणभेद, वरुण की छाल, गोखरू, एरण्ड मूल, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी तथा तालमखाना मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से पथरी के इलाज में लाभ मिलता है।
  • पाषाणभेद, वरुण छाल, गोखरू तथा ब्राह्मी के 20-30 मिली काढ़े में शिलाजीत तथा ककड़ी के बीज व गुड़ मिलाकर पीने से पथरी टूटकर निकल जाती है।



खांसी दूर करने के लिए करें पाषाणभेद का उपयोग
अगर आप खांसी से परेशान हैं तो पाषाणभेद का उपयोग करें। खांसी से लिए पाषाणभेद के जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में लें और इसे शहद के साथ खाएं। इसके सेवन से खांसी के साथ-साथ फेफड़ों से जुड़े रोगों से आराम मिलता है।

मुंह के छालों को ठीक करता है पाषाणभेद
मुंह में छाले होना एक आम समस्या है। इसके लिए तुरंत एलोपैथी दवा नहीं खाना चाहिए बल्कि घरेलू उपायों से इसे ठीक करने की कोशिश करें। मुंह में छाले होने पर पाषाणभेद की ताज़ी जड़ों और पत्तियों को चबाएं। इससे मुंह के छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं।

पेट के रोगों से राहत दिलाता है पाषाणभेद
अक्सर लोग पेट से जुड़ी छोटी मोटी बीमारियों जैसे कि दस्त , कब्ज आदि से परेशान रहते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो घरेलू उपायों की मदद से आप इन समस्याओं से जल्दी आराम पा सकते हैं। आइये जानते हैं पेट से जुड़ी बीमारियों में पाषाणभेद कितना उपयोगी है।

मूत्र संबंधी रोगों के इलाज में सहायक है पाषाणभेद
मूत्र संबंधित कई बीमारियां होती हैं जैसे पेशाब कम होना, पेशाब करते समय दर्द या मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) आदि। विशेषज्ञों के अनुसार इन समस्याओं में पाषाणभेद का उपयोग करना लाभदायक होता है। इसके लिए नल, पाषाणभेद, दर्भ, गन्ना, खीरा और ककड़ी के बीज को बराबर मात्रा में लेकर कूट लें या पीस लें। इसमें 8 गुना दूध डालकर क्षीरपाक करें। इसमें चौथाई मात्रा में घी मिलाकर पीने से कम पेशाब होने की समस्या (anuria) में आराम मिलता है। पाषाणभेद, अमलतास, धमासा, हरीतकी, निशोथ, पुष्करमूल, सिंघाड़ा, ककड़ी के बीजों और गोखरू से निर्मित 10-20 मिली काढ़ा बनाएं। इस काढ़े में शहद मिलाकर पीने से पेशाब के दौरान दर्द व कम पेशाब होने जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है।

योनिस्राव और ल्यूकोरिया के इलाज में फायदेमंद है पाषाणभेद
ल्यूकोरिया एक गंभीर समस्या है जिसमें योनि से सफ़ेद रंग का तरल निकलता रहता है, इसे सफेद पानी की समस्या भी कहते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार पाषाणभेद का काढ़ा बनाकर 20 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पिएं। इससे योनिस्राव और मूत्र संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है। इसी तरह 20-25 मिली पाषाणभेद के काढ़े में फिटकरी भस्म तथा मिश्री मिलाकर पीने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

घाव को ठीक करने में मदद करता है पाषाणभेद
पाषाणभेद के तने के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा पाषाणभेद की जड़ का पेस्ट लगाने से भी घाव जल्दी ठीक होते हैं और जलन कम होती है।

पाषाणभेद के उपयोगी भाग
विशेषज्ञों के अनुसार पाषाणभेद के पेड़ के निम्न भाग सेहत के लिए उपयोगी हैं। पत्तियां ,प्रंद, काण्ड