नवरात्रि विशेष नवमी पूजन

नवरात्रि विशेष नवमी पूजन

नवरात्रि पर्व माँ दुर्गा और शारदा माँ, महालक्ष्मी माता जी की श्रदा मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है|

इस दिन सभी लोग देवी माँ का उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक ढंग से आराधना एवं पूजा अर्चना करते हैं| ऐसा माना जाता है कि देवी माँ कि प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए उपवास रखें जाते हैं ताकि देवी माँ की कृपा सदा बनी रहे और आदि शक्ति की मेहर से संसार के भाव सागर को पार किया जा सके|
सात दिनों तक उपवास रख कर आठवे दिन अष्टमी का प्रोग्राम रखा जाता है जिसमे ९ कन्याओ को भोजन के लिए घर मे आमंत्रित किया जाता है| यथा हेतु कन्याओं को दान दक्षिणा भी दी जाती है तथा नवमी की तयारी शुरू कर दी जाती है| कई लोग नवमी पर भी कन्याओं को भोजन करवाते हैं |


दुर्गा नवमी मंत्र -

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।“


दुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है। जिसे शतावरी या नारायणी भी कहते हैं| शतावरी बल बुधि एवं वीर्ये के लिए उत्तम औषधि मानी जाती है| इस औषधि को हृदय की गति तेज करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है| सभी प्रकार की रिद्धि-सिद्धियों को प्रदान कर माता भक्तो को निहाल करती है| नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं।
अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।