डीजल इंजन से पर्यावरण को क्या-क्या नुकसान, ये जानकर दिमाग झन्ना जाएगा
Diesel Engine Effects On Environment: डीजल इंजन से लैस कारें अपनी अच्छी माइलेज और पावर के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पर्यावरण पर इनका काफी नकारात्मक असर पड़ता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में इनकी अहम भूमिका होती है। आज हम आपको डीजल इंजन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से बताते हैं।
वायु प्रदूषण
डीजल इंजन दहन के दौरान काले धुंआ और कालिख छोड़ते हैं। ये वायुमंडल में घुलकर वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, हार्ट डिजीज और लंग कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। डीजल इंजन से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमंडल में प्रतिक्रिया कर ओजोन बनाते हैं, जो धुंध का कारण बनता है और श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है। डीजल इंजन से सल्फर डाइऑक्साइड निकलता है, जो कि एसिड रेन का कारण बनता है और ये जो इमारतों, फसलों और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।जल प्रदूषण
डीजल ईंधन का रिसाव मिट्टी और जल स्रोतों को दूषित कर सकता है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान और पीने के पानी की गुणवत्ता में गिरावट आती है। डीजल इंजन से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड और फास्फोरस जल में घुलकर शैवाल के अत्यधिक विकास का कारण बन सकते हैं, जिससे जलीय जीवन के लिए ऑक्सीजन कम हो जाता है।जलवायु परिवर्तन
डीजल इंजन कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं।कई तरह की इंडस्ट्रीज में डीजल इंजन का इस्तेमाल
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि डीजल इंजन पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। हमें कम उत्सर्जन वाली तकनीकों, स्वच्छ ईंधन और वैकल्पिक परिवहन विकल्पों को अपनाकर इनके प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास करने होंगे। हालांकि, ये बताना भी जरूरी है कि डीजल इंजन का इस्तेमाल सिर्फ मोबिलिटी सेक्टर में ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण इंडस्ट्रीज में किया जाता है, जिनमें एग्रीकल्चर और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री भी है। इन उद्योगों में डीजल इंजन पर निर्भरता कम करने के लिए स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है।ऐसे कर सकते हैं डीजल इंजन के प्रभाव को कम
कम उत्सर्जन वाले डीजल इंजन: नई तकनीकों का उपयोग करके कम उत्सर्जन वाले डीजल इंजन विकसित किए जा रहे हैं।डीजल कण फिल्टर: डीजल कण फिल्टर (DPF) का उपयोग करके कालिख और सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
बायो फ्यूल: डीजल ईंधन के विकल्प के रूप में बायो फ्यूल्स का उपयोग किया जा सकता है।
सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा: सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से डीजल वाहनों पर निर्भरता कम हो सकती है।