विश्व धरोहर स्थल महाबलीपुरम के ये हैं 7 ऐसे प्रमुख और अद्भुत मंदिर, जिनकी कथाएं हैं बेहद दिलचस्प
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प्राचीन शहर महाबलीपुरम आज तमिलनाडु के सबसे लोकप्रिय और खूबसूरत शहरों में से एक माना जाता है। महाबलीपुरम को अपने कई मंदिरों की वजह से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है का भी दर्जा दिया गया है, जिन्हें 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के दौरान कोरोमंडल तट पर चट्टानों से उकेरा गया था।
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शोर मंदिर महाबलीपुरम - Shore Temple Mahabalipuram In Hindi
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7वीं शताब्दी के दौरान निर्मित, शोर मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित सबसे पुराने दक्षिण भारतीय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में आप पल्लव वंश की कलाकारी को भी देख सकते हैं। शोर मंदिर में विष्णु मंदिर भी शामिल है, जिसका निर्माण भगवान शिव के दो मंदिरों के बीच करवाया गया है। ये मंदिर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है, जहां पर्यटकों को सबसे ज्यादा देखा जा सकता है। इस मंदिर की खूबसूरती को देख पर्यटक सबसे ज्यादा यहां फोटो खिचवाने आते हैं। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे के बीच कर सकते हैं। भारतियों के लिए यहां जाने की फीस 5 रुपए और विदेशियों के लिए 250 रुपए है।
गणेश रथ मंदिर महाबलीपुरम - Ganesh Ratha Temple Mahabalipuram In Hindi
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गणेश रथ मंदिर पल्लव वंश द्वारा निर्मित किया गया एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर की संरचना द्रविड़ शैली में की गई है। प्रारंभ में, यह भगवान शिव को समर्पित था और परिसर में एक शिवलिंग रखा गया था, लेकिन बाद में पर, लिंग को हटा दिया गया था, और अब, यहां भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस मंदिर को एक चट्टान पर उकेरा गया है, जिसकी आकृति आपको एक रथ जैसी दिखाई देगी। इस मंदिर को आप सुबह 6 बजे से 12 बजे के बीच देख सकते हैं और दोपहर 3 बजे से 8 बजे के बीच भी ये मंदिर खुला रहता है।
वराह गुफा मंदिर महाबलीपुरम - Varaha Cave Temple Mahabalipuram In Hindi
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वराह गुफा मंदिर महाबलीपुरम में स्थित एक उत्कृष्ट रॉक-कट हिंदू मंदिर है। यहां की गुफा भी 7 वीं शताब्दी के दौरान की है, जिनका निर्माण ग्रेनाइट पहाड़ी की चट्टानों की दीवारों पर किया गया है। नरसिंहवर्मन प्रथम महामल्ल के शासनकाल के दौरान बनाया गया, यह मंदिर पल्लव कला के सबसे महान उदाहरणों में से एक है। इसमें भगवान विष्णु की उनके वराह रूप में एक मूर्ति है, साथ ही इसमें भूदेवी के साथ मूर्ती भी बनी हुई हैं। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच कर सकते हैं।
स्थलसायन पेरुमल मंदिर महाबलीपुरम - Sthalasayana Perumal Temple Mahabalipuram in Hindi
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द्रविड़ शैली में निर्मित, स्थलसायन पेरुमल मंदिर जिसे थिरुकदलमल्लई भी कहा जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्यदेशम में से एक है। उन्हें यहां स्थलसयन पेरुमल के रूप में उनकी पत्नी लक्ष्मी नीलामंगई थायर के साथ पूजा जाता है। भूततझवार अवतार उत्सव का वार्षिक उत्सव तमिल महीने एपिसी (अक्टूबर-नवंबर) के दौरान यहां मनाया जाता है। इस मंदिर के दर्शन सुबह 6 बजे से 12 बजे के बीच और दोपहर 3 बजे से 8:30 बजे के बीच है।
ओलक्कनेश्वर मंदिर महाबलीपुरम - Olakkannesvara Temple in Mahabalipuram in Hindi
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ओलक्कनेश्वर मंदिर, जिसे ओल्ड लाइटहाउस के नाम से भी जाना जाता है, 8वीं शताब्दी में निर्मित एक संरचनात्मक मंदिर है। इस मंदिर को ग्रे-सफेद ग्रेनाइट से बनाया गया है। ये मंदिर पहाड़ी पर स्थित होने की वजह से यहां से आप शहर का मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं। ओलक्कनेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन 19वीं शताब्दी के बाद से यहां पूजा-पाठ करना बंद कर दिया गया है। इस मंदिर को आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच कर सकते हैं।
श्री करुकाथम्मन मंदिर महाबलीपुरम - Sri Karukathamman Temple Mahabalipuram in Hindi
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श्री करुकाथम्मन मंदिर चेन्नई को पांडिचेरी से जोड़ने वाले ईस्ट कोस्ट रोड पर स्थित माँ अम्मन को समर्पित है। माँ अम्मन सुखासन की स्थिति में बैठी हुई हैं, मंदिर का आंतरिक भाग बेहद रंग-बिरंगा है, जिसमें कई अन्य उत्तम मूर्तियां स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार एक महिला को उसके पूर्वजों ने शाप दिया था, जिसमें उसे बच्चा पैदा करने की इजाजत नहीं थी। लेकिन अम्मान के आशीर्वाद से उसने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया। संतान प्राप्ति और पारिवारिक समृद्धि के मंदिर के रूप में, कई लोग मां अम्मान का आशीर्वाद लेने आते हैं।
मुकुंद नयनार मंदिर महाबलीपुरम - Mukunda Nayanar Temple Mahabalipuram in Hindi
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महाबलीपुरम शहर के पास स्थित मुकुंद नयनार मंदिर, एक ऐसा मंदिर है जिसे सालुवनकुप्पम की खुदाई के दौरान खोजा गया था। 12 फीट रेत के नीचे दफन पाया गया यह छोटा मंदिर वास्तुशिल्प रूप से धर्मराज रथ के रूप के समान है। इस प्रकार यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजसिंह पल्लव के शासनकाल में हुआ था। मुकुंद नयनार पूर्व की ओर दो मंजिला मंदिर है और इसमें एक अर्ध-मंतप है जो दो गोलाकार स्तंभों पर खड़ा है। खंभों के ऊपर छोटे-छोटे मंदिरों का समूह रखा गया है। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच कर सकते हैं।