मुथेदाथ पंजन रामचंद्रन की सफलता की कहानी/Success story of Muthedath Panjan Ramachandran
वे लिक्विड बनाने के लिए कई चीजे पढ़ा करते थे. तब उन्होंने एक जब केमिकल इंडस्ट्री की मैगजीन खरीदी. जिसमें उन्होंने पढ़ा की यदि कपड़ों और ज्यादा सफ़ेद चमकाना है तो बैंगनी रंग का इस्तेमाल किया जाता है.
आया नया उजाला...
आजकल हर किसी की जुबान पर आया नया उजाला बोलने पर चार बूंदों वाला आगे निकल ही जाता है. घर-घर में उजाला ब्रांड काफी फेमस हो गया है. लेकिन इसकी लोकप्रियता के पीछे संघर्ष की पूरी कहानी छिपी हुई है.
जानते हैं रामचंद्रन की सफलता की कहानी
अपना बीकॉम पूरा करने के बाद रामचंद्रन (Moothedath Panjan Ramachandran) अकाउंटेंट का काम करने लग गए, लेकिन उन्हें नौकरी में मजा नहीं आ रहा था. इसलिए उन्होंने अपना बिजनेस करने का प्लान किया. लेकिन पैसों के अभाव में वे ऐसा कर नहीं सके. वे शुरू से कपड़ों को चमकाने के लिए लिक्विड बनाने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
एक लाइन ने खोल दिए किस्मत के दरवाजे
वे लिक्विड बनाने के लिए कई चीजे पढ़ा करते थे. तब उन्होंने एक जब केमिकल इंडस्ट्री की मैगजीन खरीदी. जिसमें उन्होंने पढ़ा की यदि कपड़ों और ज्यादा सफ़ेद चमकाना है तो बैंगनी रंग का इस्तेमाल किया जाता है.
इस जानकारी के साथ वे फिर लग गए अपने काम पर और कपड़ो को धोने और चमकाने का घोल तैयार करने लगे. आखिर उनका प्रयोग सफल हुआ. उन्होंने उजाला सुप्रीम फैब्रिक वाइटनर (Ujala Supreme Fabric Whitener) बनाया, जो घर-घर में 'चार बूंदों वाला उजाला' के नाम फेमस हो गया.
मुथेदाथ पंजन रामचंद्रन के पास अब प्रोडक्ट तो था, लेकिन कंपनी बनाने के लिए फंड नहीं था. साल 1983 में उन्होंने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लेकर त्रिशूर में स्थित अपने घर पर ही कारखाना बनाकर काम शुरू किया. अपनी बेटी ज्योति के नाम पर उन्होंने अपनी फैक्ट्री का नाम भी ज्योति लैब्स रखा.
उनके उजाला सुप्रीम लिक्विड फैब्रिक वाइटनर को लोगों ने खूब पसंद किया. जिसके कारण उनकी कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
साल 1997 तक उजाला पूरे देश में छा गया था. आज ज्योति लैब्स का कपड़े धोने के लिक्विड प्रोडक्ट्स में एक बड़ा नाम है. कुछ ही सालों में इस कंपनी ने बड़ा मुकाम हासिल कर लिया.
कभी उधार के पांच हजार रुपये से काम की शुरुआत करने वाली ज्योति लैब्स आज 16900 करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी है.