बायजूज को कोर्ट का सपोर्ट, NCLT का आदेश रद्द होने से क्या पड़ेगा फर्क? पूरी डिटेल
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बायजूज के दूसरे राइट्स इश्यू पर एनसीएलटी की रोक को पलटते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए वापस भेज दिया है। ऐसा शायद एनसीएलटी को दोबारा विचार करने के लिए किया गया है। बायजू रवींद्रन के लिए यह राहत की खबर है। कंपनी दूसरे राइट्स इश्यू के जरिये पैसे जुटाना चाहती है।
नई दिल्ली: बायजूज को बड़ी राहत मिली है। अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए एड-टेक कंपनी पैसा जुटाना चाहती है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसमें उसका रास्ता कुछ हद तक साफ कर दिया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेंगलुरु के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 12 जून के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। उसने एड-टेक फर्म बायजूज को दूसरे राइट्स इश्यू के साथ आगे बढ़ने से रोक दिया था। न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार ने आज दोपहर इस मामले में पिछले हफ्ते आदेश सुरक्षित रखने के बाद फैसला सुनाया। जज ने आदेश को योग्यता के आधार पर पारित किया है। मामले को आगे की सुनवाई के लिए वापस NCLT भेज दिया है।
बायजूज ने मई में अपना दूसरा राइट्स इश्यू लाने का प्रस्ताव किया था। कुछ निवेशकों ने एनसीएलटी में याचिका दायर कर इस राइट्स इश्यू पर रोक लगाने की मांग की थी। इन निवेशकों का आरोप था कि कंपनी वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। जून में एनसीएलटी ने बायजूज के राइट्स इश्यू पर रोक लगा दी थी। कंपनी को जुटाए किए गए धन को एक अलग खाते में जमा करने का निर्देश दिया था।
NCLT के आदेश को दी थी चुनौती
बायजूज ने एनसीएलटी के आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने एनसीएलटी के आदेश को रद्द कर दिया है। बायजूज को अपना राइट्स इश्यू जारी रखने की अनुमति दे दी। हालांकि, हाईकोर्ट ने एनसीएलटी को इस मामले की सुनवाई जारी रखने और निष्कर्ष पर पहुंचने का निर्देश दिया।बायजूज भारतीय एडटेक कंपनी है जो ऑनलाइन कक्षाएं और शैक्षिक सामग्री प्रदान करती है। कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विस्तार किया है, लेकिन इसकी वित्तीय स्थिति को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं। दूसरा राइट्स इश्यू कंपनी के लिए बहुत जरूरी है। कंपनी इसके जरिये धन जुटाना चाहती है। यह उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत करने और अपने विकास को जारी रखने के लिए जरूरी है।
बायजू रवींद्रन पर मामला लंबित
अंतरिम आदेश ने बायजूज को अपने दूसरे राइट्स इश्यू के साथ आगे बढ़ने से रोक दिया था जब तक कि चार निवेशकों की मुख्य याचिका का निपटारा नहीं हो जाता। थिंक एंड लर्न (बायजूज की पैरेंट कंपनी) के साथ इसके प्रबंध निदेशक बायजू रवींद्रन और कार्यकारी निदेशक रिजु रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ की ओर से दायर दो रिट याचिकाओं में इस कदम को चुनौती दी गई थी।