नीचभंग राजयोग
जब कोइ ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित होता है, तो वह शक्ति हीन और निर्बल होता है. इस स्थिति में वह ग्रह अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है. किन्तु अन्य ग्रहों की स्थिति, युति, दृष्टि या परस्पर राशि परिवर्तन आदि के उस पर प्रभाव द्वारा उसकि यह कमजोर स्थिति सुधर जाती है. जिसे नीच-भंग राजयोग कहते है. जो निम्नलिखित स्थितियों में बन सकता है. |
नीचभंग राजयोग नियम
- जब नीच राशि का ग्रह लग्न भाव या चन्द्र से केन्द्र स्थान में हो.
- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है. उस राशि का स्वामी ग्रह, लग्न भाव या चन्द्रमा से केन्द्र स्थान में स्थित हो, जैसे गुरु मकर राशि में नीच के होते है, तो मकर राशि के स्वामी शनि यदि लग्न से केन्द्र या चन्द्र से केन्द्र स्थान में हो, तो नीच भंग राजयोग बनता है.
- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है. अगर उस राशि में उच्च होने वाला ग्रह लग्न या चन्द्र से केन्द्र स्थान में हो जैसे शनि मेष राशि में नीच के होते है, तो मेष राशि में उच्च का होने वाला सूर्य अगर लग्न या चन्द्र से केन्द्र में हो तो नीच भंग हो जाता है.
- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है, उस राशि के स्वामी की नीच के ग्रह पर दृष्टि हो जैसे- बुध मीन राशि में नीच का होता है, और उस पर यदि मीन के स्वामी गुरु की दृ्ष्टि हो तब भी नीच भंग राजयोग बनता है.
- व जिस राशि में ग्रह नीच का होता है. उस राशि का स्वामी और जिस राशि में ग्रह उच्च का होता है. उस राशि का स्वामी परस्पर केन्द्र स्थान में हो जैसे- मंगल की नीच राशि कर्क का स्वामी चन्द्र और उच्च राशि का स्वामी शनि, परस्पर केन्द्र में हो तो मंगल के ओलिए नीच भंग राजयोग बनता है.
- इसके अतिरिक्त नीच ग्रह की राशि का स्वामी और ग्रह की उच्च राशि का स्वामी लग्न या चन्द्र से केन्द्र में हो जैसे शनि की नीच की राशि मेष का स्वामी मंगल और उसकी उच्च की राशि तुला का स्वामी शुक्र लग्न या चन्द्र से केन्द्र स्थान में हो तो शनि के लिए नीच भंग राजयोग बनता है.
- जिस राशि में ग्रह नीच का हो रहा होता है. उस राशि में उच्च का होने वाला ग्रह साथ में बैठा हो या उस पर दृ्ष्टि करता हो तो नीच भंग हो जाता है.
नीच भंग राजयोग फल
नीच का ग्रह अपनी निर्बल स्थिति के कारण अच्छा फल नहीं दे पाता है. किन्त नीचभंग राजयोग वाला ग्रह अपनी दशा- अन्तर्दशा के मध्य और उसके पश्चात बहुत शुभ फल देता है. नीच भंग में ग्रह जब किसी उच्च के ग्रह के साथ संपर्क में हो तो यह स्थिति उसकी इस नीचता को समाप्त करने वाली होती है. इस स्थिति में नीच ग्रह अपनी अशुभता तो दिखाता है लेकिन जातक को इस अशुभ प्रभाव का अंत एक शुभ फल के रुप में मिलता है. यह बिलकुल ऎसा होगा जैसे की जातक को खराब स्थिति मिलेगी लेकिन उस संकट से वह तुरंत मुक्त होकर अपने जीवन में शुभता पाएगा.
- नीच भंग योग के होने पर ग्रह अपने अशुभ फलों को कम कर देता है.
- जातक परेशानियों से निकल कर सुख को भी पाता है.
- संघर्ष से उसे सफलता मिलती है.
- परिवार और समाज में सम्मान पाता है.
- किसी संस्था का निर्माण कर सकता है अथवा उस से जुड़ कर आगे बढ़ता है.
- अपने विरोधियों को परास्त कर सकता है.