देवी सीता के जन्म की अनमोल कथा
रामायण में देवी सीता को जानकी भी कहा गया है| देवी सीता के पिता का नाम जनक था| सीता जी उनकी गोद ली हुई पुत्री थी| आईए जानते हैं कि देवी सीता का जन्म कैसे हुआ
वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार राजा जनक धरती जोत रहे थे| तब राजा जनक को धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई सुंदर कन्या मिली| राजा जनक की कोई संतान नहीं थी| इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई| राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया|
सीता जी के जन्म के विषय में एक कथा प्रचलित है जिसके आधार पर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वह कौन थी और क्यों रावण की मृत्यु का कारण बनी|
इस कथा के अनुसार देवी सीता रावण और मंदोदरी की पुत्री थी| सीता जी वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थी| वेदवती विष्णु जी की भक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थी| इसलिए विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए वेदवती ने कठोर तपस्या की|
एक दिन रावण वहां से निकल रहा था जहां वेदवती तपस्या कर रही थी| वेदवती की सुंदरता को देख कर रावण उस पर मोहित हो गया| रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा| परन्तु वेदवती ने मना कर दिया| वेदवती के मना करने पर रावण को क्रोध आ गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा| रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेगी|
कुछ समय बाद मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया| श्राप से भयभीत रावण ने उस कन्या को जन्म लेते ही सागर में फेंक दिया| सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को धरती की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया| देवी सीता का विवाह श्री राम के साथ हुआ और रावण द्वारा देवी सीता के अपहरण करने के कारण श्री राम ने रावण का वध कर दिया|