अगर बार-बार हो जाते हैं बीमार, तो ये हो सकती है वजह जानें उपाय
एक स्वस्थ्य शरीर ही व्यक्ति का सबसे बड़ा धन होता है। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति पूरी सावधानी रखने के बाद भी बार-बार बीमार पड़ने लगता है। इसका कारण खराब जीवनशैली और रोगप्रतिरोधक क्षमता का कम होना होता है लेकिन इसके अलावा वास्तु के सही न होने के कारण भी आपको रोग घेरने लगते हैं। यदि घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष हो तो आपको न केवल आर्थिक, पारिवारिक बल्कि स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में घर का वास्तु ठीक होना भी बहुत आवश्यक होता है। वास्तु में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनको करने से आप रोगों से छुटकारा पा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं उपाय...
जानें रोगों का कारण और उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपके घर की उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा बंद हो या फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा खुली हो तो इससे लगने वाले वास्तु दोष के कारण आपको धन संबंधित समस्याओं के साथ खराब स्वास्थ्य का सामना भी करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपके घर की दक्षिण दिशा में दोष हो तो आपको अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए। जिससे आपको उनका आशीर्वाद मिलता रहे।
रसोई में खाना बनाते समय सही दिशा में मुख रखना आवश्यक होता है यदि खाना बनाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा में रखते हैं तो इससे भी कमर दर्द, जोड़ो में दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए खाना बनाते समय अपना मुख हमेशा पूर्व दिशा में रखें।
घर की ईशान दिशा यानि उत्तर पूर्व स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है। यदि कोई इस दिशा में शौचालय या फिर सीढ़ियां बनवाता है तो इस स्थिति में वास्तु दोष उत्पन्न होता है। जिसके कारण आपको मानसिक तनाव या मस्तिष्क से जुड़े रोगों का सामना करना पड़ सकता है। घर के ईशान कोण में हमेशा हल्का सामान और देवस्थान बनाना शुभ रहता है।
घर में आवश्यकता से अधिक दवाइंया भी बनती हैं रोग का कारण
हर घर में कुछ प्राथमिक उपचार की दवाइंया तो होती ही हैं लेकिन कुछ लोग अपने घर में गैर-जरूरी दवाइयों को रखे रहने देते हैं। घर में अनावश्यक रूप से और इधर-उधर रखी हुई दवाइंया भी रोगों का कारण बनती हैं। घर में यदि फालतू की दवाइंया रखी हुई हैं तो उन्हें तुरंत घर के बाहर निकाल दें।
यदि रोगों के कारण कोई व्यक्ति बहुत कमजोर हो गया है तो उसके पास लाल रंग का कपड़ा रखें। लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।