श्री घृष्णेश्वर |
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 29 कि.मी. की दूर पर वेरुल नामक गांव में घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी माना जाता है। कई ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख है कि घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन कर लेने से मनुष्य को जीवन का हर सुख मिलता है। इस ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। |
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कब जाएं घुश्वेश्वर या घृष्णेश्वर मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय जनवरी से मार्च और अक्टूबर से दिसंबर माना जाता है। कैसे पहुंचें हवाई मार्ग- घुश्मेश्वर से सबसे पास का एयरपोर्ट औरंगाबाद है। घुश्मेश्वर से औरंगाबाद की दूरी लगभग 29 कि.मी. है। रेल मार्ग- घुश्मेश्वर से सबसे पास का रेलवे स्टेशन औरंगाबाद ही है। सड़क मार्ग- औरंगाबाद से घुश्वेश्वर के लिए आसानी से बसें और निजी साधन मिल जाते हैं। ज्योतिर्लिग के दर्शन का समय मान्यता के अनुसार यहां आने वाले पुरुष भक्त अपने शरीर से कमीज एवं बनियान तथा बेल्ट उतारकर ज्योतिर्लिग के दर्शन करते हैं। मंदिर रोज सुबह 5:30 से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। श्रावण के पावन महीने में मंदिर सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। मुख्य त्रिकाल पूजा तथा आरती सुबह 6 बजे तथा रात 8 बजे होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पालकी को समीपस्थ शिवालय तीर्थ कुंड तक ले जाया जाता है। |
आरती समय | |
मंगला आरती |
04:00 से 05 :00 |
जलहरी संघन |
08:00 से 08 :30 |
भोग आरती |
12:00 से 12:30 |
शाम आरती |
7:00 से 7:30 |
शयन आरती |
10:30 |