श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र , एक अद्भुत चमत्कारी वैदिक मंत्र है जिसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का उच्चारण एक साथ हुआ है। माना जाता है की विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से मनुष्य को जीवन में अपार सफलता प्राप्त होती है। इसका उल्लेख महाभारत की अनुशासनिका पर्वं में हुआ है। महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर के समक्ष विष्णुसहस्रनाम के श्लोकों का उच्चारण किया था।
पौराणिक काल से यह माना जाता है कि भले ही आप विष्णुसहस्त्रनाम स्रोत को समझे या ना समझे इसका पाठ करने से जीवन में अत्यधिक लाभ मिलता है। कहा जाता है इसका पाठ करने वाले लोगों का पाप दूर होता है और जीवन में खुशियां व समृद्धि आती हैं।
निस्वार्थ भाव से भगवान की पूजा करना जीवन में सफलता का सबसे बेहतर मार्ग है। हमें दिल से पवित्र मन से भगवान की पूजा करनी चाहिए। भले ही भगवान आज हमारे आंखों के समक्ष नहीं हो परंतु उनके दिए हुए ज्ञान के माध्यम से ही आज पूरा संसार चल रहा है इसलिए उनके महान वचनों पर अमल करना जीवन में परम सुख प्रदान करता है।
भगवान विष्णु के नामों का संकलन -
विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है। इसके अलग अलग संस्करण महाभारत, पद्म पुराण व मत्स्य पुराण में उपलब्ध हैं। स्तोत्र में दिया गया प्रत्येक नाम श्री विष्णु के अनगिनत गुणों में से कुछ को सूचित करता है। विष्णु जी के भक्त प्रात: पूजन में इसका पठन करते है। मान्यता है कि इसके सुनने या पाठ करने से मनुष्य की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
बदल सकता है जीवन -
महाभारत में अनुशासनपर्व के 149 वें अध्याय के अनुसार, कुरुक्षेत्र मे बाणों की शय्या पर लेटे हुए पितामह भीष्म ने उस समय जब युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि, कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है? तब उन्होंने बताया कि एेसे महापुरुष भगवान विष्णु हैं आैर उनके एक हजार नामों की जानकारी दी। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। वैसे वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है, आैर अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं। विष्णु सहस्रनाम को अौर भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे, शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र, इससे ये भी प्रमाणित होता है कि शिव अौर विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये एक समान हैं।
स्तोत्र के हैं तीन प्रमुख भाग -
कहते हैं कि विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से सात जन्म संवर जाते हैं, सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और हर दुख का अंत होता है। इस स्तोत्र के तीन प्रमुख भाग माने गये हैं, जिसमें से प्रथम है
पूर्व पीठिका -
इसमे सर्वप्रथम गणेश, विष्वक्सेन, वेदव्यास तथा विष्णु का नमन किया जाता है। इसके बाद युधिष्ठिर के प्रश्न दिए गए हैं, किमेकं दैवतं लोके किं वाप्येकं परायणम्। स्तुवन्तः कं कमर्चन्तः प्राप्नुयुर्मानवाः शुभम्॥ जिसका अर्थ है, सभी लोकों में सर्वोत्तम देवता कौन है?संसारी जीवन का लक्ष्य क्या है? किसकी स्तुति व अर्चन से मानव का कल्याण होता है?सबसे उत्तम धर्म कौनसा है? किसके नाम जपने से जीव को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है? इसके उत्तर में भीष्म ने कहा,"जगत के प्रभु, देवों के देव, अनंत व पुरूषोत्तम विष्णु के सहस्रनाम के जपने से, अचल भक्ति से, स्तुति से, आराधना से, ध्यान से, नमन से मनुष्य को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है। यही सर्वोत्तम धर्म है।"
द्वितीय भाग -
इसके बाद ऋषि, देवादि संकल्प तथा परमात्मा का ध्यान किया जाता है। इस भाग मे विश्वं से आरंभ सर्वप्रहरणायुध तक सभी सहस्र यानि 1000 नामों को 107 श्लोकों मे सम्मिलित किया गया है। परमात्मा के आनंत रूप, स्वभाव, गुण व नामों में से सहस्र नामों को इसमें लिया गया है।
उत्तर पीठिका -
ये तीसरा भाग है जिसे फलश्रुति भी कहते हैं। इस भाग मे सहस्रनाम के सुनने अथवा पठन से प्राप्त होने के लाभ का विवरण दिया गया है। इसी भाग में विष्णु के सहस्र अर्थात एक हजार नामों की सूची है।