श्रीमार्कण्डेयराणान्तर्गत देवीमाहात्म्य में 'श्लोक’, 'अर्धश्लोक' और 'उवाच' आदि मिलाकर ७०० मन्त्र हैं ।
यह माहात्म्य दुर्गासप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है । सप्तशती अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने वाली है ।
जो पुरुष जिस भाव और जिस कामना से श्रद्धा एवं विधि के साथ सप्तशती का पारायण करता है, उसे उसी भावना और कामना के अनुसार निश्चय ही फल -सिद्धि होती है ।
इस बात का अनुभव अगणित पुरुषों को प्रत्यक्ष हो चुका है । यहाँ हम कुछ ऐसे चुने हुए मन्त्रों का उल्लेख करते हैं,
जिनका सम्पुट देकर विधिवत् पारायण करने से विभिन्न पुरुषार्थों की व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सिद्धि होती है । इनमें अधिकांश सप्तशती के ही मन्त्र हैं और कुछ बाहर के भी हैं-