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20 फ़रवरी 2021 , माघ शुक्ल 8
भीष्माष्टमी

माघ मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी को भीष्माष्टमी व्रत मनाया जाता है। यह व्रत इस वर्ष 02 फरवरी 2020 को है। को है। यह व्रत महाभारत के भीष्म पितामह की पुण्य तिथि के रूप मे मनाया जाता है। माघ मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को ही भीष्म पितामह ने अपने शरीर को छोड़ा था।भीष्माष्टमी के दिन तिल, जल और कुश से भीष्म पितामह के निमित्त तर्पण करने का विधान है। इससे मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह व्रत संस्कारी और सुयोग्य संतान की प्राप्ति वाला है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत विधि:-
प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हों स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। किसी नदी या जलाशय में सनान करना अति उत्तम है। यदि सम्भव ना हो तो घर पर ही स्नान करें। स्नान के बाद हाथ मे तिल, कुश और जल लेकर दक्षिण की ओर मुख करके भीष्म पितामह के लिये निम्न मंत्र के द्वारा तर्पण करें|

वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।

इसके बाद पुन: सव्य होकर निम्न मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अध्र्य देना चाहिए-

वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च। अध्र्यं ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।