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19 फ़रवरी 2021 , माघ शुक्ल 7
अचला सप्तमी व्रत

माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी कहते हैं माघ मास की सप्तमी होने के कारण इसे माघी सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव की आराधना करना बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि सूर्य भगवान ने इसी दिन पृथ्वी को अपनी दिव्य ज्योति से प्रकाशित किया था। सप्तमी तिथि को पुराणों में सूर्य से संबंधित माना गया है। इस सप्तमी को माघी सप्तमी, सूर्य सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है।
विधि
शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी जो व्यक्ति सूर्य की पूजा करके बिना नमक खाए, मीठा भोजन अथवा फलाहार करता है उसे पूरे साल सूर्य देव की पूजा करने का पुण्य एक ही बार में प्राप्त हो जाता है। इस व्रत से सौभाग्य, रुप और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन किसी सूर्य भगवान को दीप दान करें तो महान पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन स्नान आदि करके दीपदान देने से मनोवांछित फल मिलता है।
सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने दैनिक कर्म से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए। स्नान के पश्चात भगवान सूर्य की आराधना करें। भगवान सूर्य को अर्घ्य दान करें। सूर्य भगवान की पूजा करके एक ही वक्त मीठा भोजन या फलाहार करें। इस दिन भोजन में नमक का त्याग करें, ऐसा करने से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं। शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर कपूर, लाल पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करें। दिन भर भगवान सूर्य की आराधना करें। सूर्य मंत्र ॐ घृणि सूर्याय नम: तथा ॐ सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए।आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। गरीबों को दान-दक्षिणा दें।
इसलिए जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना विधिवत तरीके से करते हैं। उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है। इस व्रत को करने से शरीर की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं भगवान सूर्य की ओर अपना मुख करके सूर्य स्तुति करने से चर्म रोग जैसे गंभीर रोग भी नष्ट हो जाते हैं।