16 फरवरी 2021, माघ शुक्ल 5 बसंत पंचमी |
बसंत पंचमी - ![]() |
भारत में कई त्यौहार मनाये जाते हैं जो न केवल एक उत्सव होते हैं बल्कि पर्यावरण में आने वाले बदलाव के सूचक भी होते हैं. हिंदी पंचांग की तिथियाँ अपने साथ मौसमी बदलाव का संकेत भी देती है जो कि पूर्णतः प्राकृतिक होते हैं. उन्ही त्यौहारों में एक त्यौहार बसंत पंचमी है. बसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं। बसंत ऋतु हमारे जीवन में एक अद्भुत शक्ति लेकर आती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी ऋतु में ही पुराने वर्ष का अंत होता है और नए वर्ष की शुरुआत होती है। इस ऋतु के आते ही चारों तरफ हरियाली छाने लगती है। सभी पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं हैं और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं हैं। इसी स्वाभाव के कारन इस ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। इस ऋतु का स्वागत बसंत पंचमी या श्रीपंचमी के उत्सव से किया जाता है। कहा जाता है जब ब्रह्मा जी ने भगवान् विष्णु की आज्ञा पाकर सृष्टि की रचना की तब चारों ओर शांति ही शांति थी। किसी भी प्रकार की कोई ध्वनि नहीं थी। विष्णु और ब्रह्मा जी को ये रचना कुछ अधूरी प्रतीत हुयी। उस समय ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। जल छिड़कने के बाद वृक्षों के बीच एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुयी। जिन्हें हम देवी सरस्वती के नाम से जानते हैं। जिसके 4 हाथ थे। एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी के अनुरोध पर जैसे ही देवी सरस्वती ने वीणा बजायी सारे संसार को वाणी की प्राप्ति हो गयी। इसी कारन ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को देवी की वाणी कहा। ये सब बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंच-तत्त्व- जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। आकाश स्वच्छ है, वायु सुहावनी है, अग्नि (सूर्य) रुचिकर है तो जल पीयूष के समान सुखदाता और धरती, उसका तो कहना ही क्या वह तो मानो साकार सौंदर्य का दर्शन कराने वाली प्रतीत होती है। ठंड से ठिठुरे विहंग अब उड़ने का बहाना ढूंढते हैं तो किसान लहलहाती जौ की बालियों और सरसों के फूलों को देखकर नहीं अघाते। शुभ मुहूर्त - बसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतः विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह प्रवेश के लिए बसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयस्कर माना गया है। बसंत पंचमी को अत्यंत शुभ मुहूर्त मानने के पीछे अनेक कारण हैं। यह पर्व माघ मास में ही पड़ता है। माघ मास का धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस माह में पवित्र तीर्थों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। दूसरे इस समय सूर्यदेव भी उत्तरायण होते हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि देवताओं का एक अहोरात्र (दिन-रात) मनुष्यों के एक वर्ष के बराबर होता है, अर्थात उत्तरायण देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन रात्रि कही जाती है। सूर्य की क्रांति 22 दिसम्बर को अधिकतम हो जाती है और यहीं से सूर्य उत्तरायण शनि हो जाते हैं। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और अगले 6 माह तक उत्तरायण रहते हैं। सूर्य का मकर से मिथुन राशियों के बीच भ्रमण उत्तरायण कहलाता है। देवताओं का दिन माघ के महीने में मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर आषाढ़ मास तक चलता है। तत्पश्चात आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी तक का समय भगवान विष्णु का निद्रा काल अथवा शयन काल माना जाता है। इस समय सूर्यदेव कर्क से धनु राशियों के बीच भ्रमण करते हैं, जिसे सूर्य का दक्षिणायन काल भी कहते हैं। सामान्यतः इस काल में शुभ कार्यों को वर्जित बताया गया है। चूंकि बसंत पंचमी का पर्व इतने शुभ समय में पड़ता है, अतः इस पर्व का स्वतः ही आध्यात्मिक, धार्मिक, वैदिक आदि सभी दृष्टियों से अति विशिष्ट महत्व परिलक्षित होता है। ऐतिहासिक तथ्य - पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के युद्ध के बारे में शायद ही कोई ना जानता हो। लेकिन क्या आपको पता है कि पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में हराया था और उस पर दया कर उसे जीवनदान दे दिया था। इसके बाद भी मुहम्मद गौरी ने अपनी नीचता का त्याग न करते हुए 17वीं बार फिर हमला किया और पृथ्वीराज चौहान व उनके साथी कवी चंदबरदाई को कैद कर अपने साथ अफ़ग़ानिस्तान ले गया। वहां उसने पृथ्वीराज चौहान की आँखें फोड़ दीं। मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड दिया। किन्तु उस से पहले उसने पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण चलाने की कला को देखने की इच्छा जताई। उसके बाद जो हुआ उस से कोई भी अनजान नहीं है। पृथ्वीराज चौहान ने मौके का फ़ायदा उठाया और साथी कवि चंदबरदाई के कविता के माध्यम से पृथ्वीराज चौहान को एक संकेत दिया :- ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥ इस संकेत को पाकर पृथ्वीराज चौहान ने जरा भी देर न की और बाण सीधा मुहम्मद गौरी के सीने में उतार दिया। और फिर दोनों पृथ्वीराज चौहान व उनके साथी चंरबरदाई ने एक दूसरे के पेट में छूरा घोंप कर अपना बलिदान दे दिया। यह घटना भी बसंत पंचमी के दिन की ही है। सरस्वती पूजा विधि और मंत्र मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार हो और आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश और नवग्रह की विधिवत पूजा करें. फिर मां सरस्वती की पूजा करें. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं. फिर माता का श्रृंगार कराएं. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दूध से बनी मिठाईयां अर्पित करें. श्वेत फूल माता को अर्पण करें. कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है. विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम और पुस्तकों का दान करें. संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व मां को बांसुरी भेंट करें. इस मंत्र से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती अप्रशस्ता इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि! '' यदि पूर्व में दिए मंत्र को पढ़ने में परेशानी हो तो इस सरल मंत्र को पढ़कर मां सरस्वती को प्रसन्न कर ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करें। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥ |