हिन्दी पंचांग कैलेंडर
08 फ़रवरी 2021 , माघ शुक्ल 12
तिल द्वादशी

इस दिन खास तौर पर भगवान विष्णु का विशेष पूजन तिलों से किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
व्रत का करें संकल्प
तिल द्वादशी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद सूर्य देव का नमस्कार करें और सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दें। व्रत के लिए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर विधि विधान से उनका पूजन करना चाहिए।
तिल का भोग लगाएं
भगवान को पंचामृत से अभिषेक करवाकर उन्हें मौली, फल, फूल, रौली, अक्षत, धूप, गंध आदि समर्पित करने चाहिए और उन्हें तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। यदि उपासक पीले वस्त्र धारण करके भगवान नारायण का पूजन करे तो उसे विशेष फल मिलता है।
इस मंत्र का करें जप
व्रत वाले दिन पूरा दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते रहना चाहिए। इस दिन तिलों का दान भी अवश्य करना चाहिए। संध्या के समय कथा सुनने के बाद भगवान की आरती उतारें। रात में हरि कीर्तन भी करें।
बैकुंठ धाम की होती है प्राप्ति
शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को भगवान विष्णु ने स्वयं का स्वरूप कहा है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है, उसे जन्म मृ’त्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। द्वादशी का व्रत एकादशी की तरह ही पवित्र माना जाता है।