गुडी पडवा या उगादी |
वर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है, इस दिन दान का महत्व है. साथ ही नौ दुर्गा के दिन का प्रारम्भ भी इसी गुड़ी पड़वा से होता हैं, सभी इस दिन से घरो को शुद्ध कर पूजा पाठ करते हैं. कई लोग गणगोर माता का विवाह रचते हैं. त्यौहार भारत देश की धरोहर हैं इनकी मान्यता दिल की भावनाओ से जुड़ी होती हैं. उगादी त्यौहार को गुडी पडवा के नाम से भी जाना जाता है, यह हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है. जिसे लोग बहुत ही हर्ष के साथ मानते है. इस त्यौहार एक बारे में पूरी जानकारी यहाँ दी जा रही है. |
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उगादी या गुडी पडवा पर्व का इतिहास उगादी त्योहार को भारत के दक्षिण प्रांतीय राज्य आंध्रप्रदेश और कर्नाटक, महाराष्ट्र के राज्यों में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. इसे कन्नड़ और तेलगु समुदाय के लोग नए वर्ष के रूप में मनाते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत मास सुधा पद्मि के दिन इसको मनाया जाता है. भारत में यह विक्रम सवंत के नाम से भी जाना जाता है. उगादी नाम मूलतः संस्कृत शब्द के युग और अदि शब्दों से बना है, जिसका अर्थ होता है नए युग की शुरुआत. त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग ये तीन तरह के युग है. अभी हम कलयुग में रह रहे हैं. महर्षि वेद व्यास ने इस शब्द की व्याख्या 3102 ईस्वी में की. यह द्वापर था, जोकि भगवान श्री कृष्ण के युग के बाद आता है. |