संतान प्राप्ति के लिए इस मदिर में चोरी करते है श्रद्धालु चूड़ामणि देवी मंदिर

संतान प्राप्ति के लिए इस मदिर में चोरी करते है श्रद्धालु चूड़ामणि देवी मंदिर

चोरी करना पाप बताया गया है पर आज हम आपके लिए एक ऐसे मंदिर को लेकर आये है , जहा चोरी करने से मनोकामना पूर्ण होती है | यह बात पढ़कर आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे पर इस मंदिर के साथ यह परम्परा कई सालो से बनी हुई है | देव भूमि उत्तराखंड के रुड़की के चुड़ियाला गांव स्थित यह प्राचीन और अनोखा मंदिर सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का है | आइये जानते है की क्यों भक्त यहा चोरी करते है और इसके पीछे क्या रहस्य है |

कैसे शुरू हुई मंदिर में चोरी करने की परम्परा -
कई सदियों पहले यहा संतान विहीन राजा शिकार करने इस जंगल में आये थे | उन्हें यहा माँ की पिंडी के दर्शन हुए | राजा ने पिंडी को नमन कर पुत्र प्राप्ति की विनती की | माँ ने उनकी विनती स्वीकार कर ली । राजा को कुछ महीने बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उन्होंने यहा माँ का भव्य मंदिर बनवाया |

चोरी करने की है मान्यता -
इस मंदिर में पुत्र की चाह रखने वाले पति पत्नी आते है और माँ के सामने शीश झुकाते है | माता के चरणों में एक लकड़ी का गुड्डा रखा रहता है जिसे दम्पति को चुराना होता है | दर्शन करने के बाद दम्पति को इस गुड्डे को अपने साथ घर ले जाना होता है | पुत्र प्राप्ति होने के बाद दम्पति को अपने पुत्र के साथ यहा आकर भंडारा करना होता है और साथ ही लकड़ी का गुड्डा चढ़ाना होता है |

यह मंदिर भी कहलाता है शक्तिपीठ -
माँ सती के अंग और आभूषण जिस जिस जगह गिरे वहा शक्तिशाली शक्तिपीठो की स्थापना हुई है | मान्यता है की इस मंदिर की जगह पर माँ सती का चूड़ा गिरा था | अत: इस मंदिर का नाम चूड़ामणि देवी मंदिर रखा गया है | यह अति प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है | नवरात्रि पर यहा विशाल मेले का आयोजन किया जाता है |

बाबा बनखंडी की समाधी स्थली -
माता चूड़ामणि अनन्य भक्त बाबा बनखंडी की मंदिर परिसर में ही समाधि स्थल बना हुआ है | इन्होने अपने जीवन के कई साल माँ की सेवा और भक्ति में बिताये थे | सन 1909 में उन्होंने इसी मंदिर में समाधी ली थी | यहा आने वाले श्रद्दालु यहा माथा टेकना नही भूलते है |