श्री मेधा सुक्तम

श्री मेधा सुक्तम

|| श्री मेधा सुक्तम ||


ॐ यश्छन्द'सामृषभो विश्वरू'पः | छन्दोभ्योऽध्यमृता''थ्सम्बभूव' |
स मेन्द्रो' मेधया'' स्पृणोतु | अमृत'स्य देवधार'णो भूयासम् |
शरी'रं मे विच'र्षणम् | जिह्वा मे मधु'मत्तमा |
कर्णा''भ्यां भूरिविश्रु'वम् | ब्रह्म'णः कोशो'ऽसि मेधया पि'हितः |
श्रुतं मे' गोपाय ||

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः' ||


ॐ मेधादेवी जुषमा'णा न आगा''द्विश्वाची' भद्रा सु'मनस्य मा'ना |
त्वया जुष्टा' नुदमा'ना दुरुक्ता''न् बृहद्व'देम विदथे' सुवीरा''ः |
त्वया जुष्ट' ऋषिर्भ'वति देवि त्वया ब्रह्मा'ऽऽगतश्री'रुत त्वया'' |
त्वया जुष्ट'श्चित्रं वि'न्दते वसु सा नो' जुषस्व द्रवि'णो न मेधे ||

मेधां म इन्द्रो' ददातु मेधां देवी सर'स्वती |
मेधां मे' अश्विना'वुभा-वाध'त्तां पुष्क'रस्रजा |
अप्सरासु' च या मेधा गं'धर्वेषु' च यन्मनः' |
दैवीं'' मेधा सर'स्वती सा मां'' मेधा सुरभि'र्जुषताग् स्वाहा'' ||

आमां'' मेधा सुरभि'र्विश्वरू'पा हिर'ण्यवर्णा जग'ती जगम्या |
ऊर्ज'स्वती पय'सा पिन्व'माना सा मां'' मेधा सुप्रती'का जुषन्ताम् ||

मयि' मेधां मयि' प्रजां मय्यग्निस्तेजो' दधातु
मयि' मेधां मयि' प्रजां मयीन्द्र' इंद्रियं द'धातु
मयि' मेधां मयि' प्रजां मयि सूर्यो भ्राजो' दधातु ||

ॐ म॒हा॒दे॒व्यै च॑ वि॒द्महे॑ ब्रह्मप॒त्नी च॑ धीमहि। तन्नो॑ वाणी प्रचो॒दया᳚त्।

ॐ हंस हंसाय' विद्महे' परमहंसाय' धीमहि | तन्नो' हंसः प्रचोदया''त् ||

ॐ शांतिः शांतिः शान्तिः