श्री काशी विश्वनाथ
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काशी विश्वनाथ में हर घर में भगवान भोलेनाथ के प्रति अटूट भक्ति देखने को मिलता है | काशी में एक जयघोष हर व्यक्ति की जुबान पर होता है – हर हर महादेव घर घर महादेव | इसलिए काशी को भोलेनाथ की प्रिय नगरी कहा गया है | पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव को एक से दो होने की इच्छा जाग्रत हुई और उन्होंने स्वयं को दो रूपों में विभक्त कर लिया एक शिव और दूसरा शक्ति | किन्तु वे इस रूप में अपने माता -पिता न होने के कारण उदास रहने लगे तभी आकाशवाणी हुई और उन्हें तपस्या करने की आज्ञा दी | उस आज्ञा का पालन करते हुए भोलेनाथ ने अपने हाथों से 5 कोस लम्बे भू-भाग पर काशी का निर्माण किया और यहाँ पर विश्वनाथ के रूप में विराजमान हुए |
सूर्य की पहली किरण काशी में पड़ती है : –
ऐसी मान्यता है कि सूर्य जैसे ही उदय होता है उसकी पहली किरण इसी स्थान पर पड़ती है | कुछ समय के लिए भगवान शिव स्वयं कैलाश पर्वत को छोड़कर यहाँ आते है | काशी में रहने वाले लोगों की मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं उनकी रक्षा करते है | काशी को भगवान शिव की प्रिय नगरी भी कहा गया है | कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत इसी स्थान से हुई थी
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एयरपोर्ट से गोदौलिया की दूरी – 25 km
कैंट रेलवे स्टेशन से – 6.9 km
मंडुआडीह रेलवे स्टेशन से- 4.3 km
मुगलसराय रेलवे स्टेशन से- 15 km
आरती समय | |
मंगला आरती
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03:00 से 04:00
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भोग आरती
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11:15 से 12: 20
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संध्या आरती
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07:00 से 08:15
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श्रृंगार आरती
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09:00 से 10:00 रात्रि
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शयन आरती
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10:30 से 11:00 रात्रि
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