रात के इस समय सक्रिय रहते हैं भूलकर भी ना निकलें घर से बाहर
आखिर अमावस्या के दिन ही क्यों सक्रिय रहती है प्रेत-आत्मा
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन के देवता कहलाते हैं और अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में चंद्रमा की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़ती और चंद्रमा की अनुपस्थिति में रज-तम फैलाने वाली अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच ), और काला जादू में फंसे लोग और प्रमुख रूप से राजसिक और तामसिक लोग अधिक प्रभावित होते हैं। इस दोरान आत्महत्या अथवा भूतों द्वारा आवेशित होना आदि घटनाएं भी अधिक मात्रा में होती हैं। विशेषरूप से रात के समय क्योंकि अमावस्या की रात अनिष्ट शक्तियों के लिए मनुष्य को कष्ट पहुंचाने का स्वर्णिर्म अवसर होता है। जो लोग अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता ह
अमावस्या माह में एक बार ही आती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं। सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है।
अमावस्या के दिन ना करें ये काम
1. अमावस्या पर किसी भी इंसान को श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए |
2. अमावस्या के दिन सुबह देर तक सोते ना रह जाएं. जल्दी उठे और पूजा-पाठ करें
3. इस अमावस्या पर शराब और मांस इत्यादि से दूर रहें।