भीम क्यों जला देना चाहते थे युधिष्ठिर के दोनों हाथ?
महाभारत के प्रमुख पात्र भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव अपने बड़े भाई युधिष्ठिर का बहुत आदर करते थे। युधिष्ठिर जो आज्ञा देते, उनके भाई उसे किसी भी तरह पूरी करते थे। महाभारत में सभा पर्व में एक प्रसंग ऐसा भी आता है जब भीम युधिष्ठिर पर बहुत गुस्सा हो जाते हैं और सहदेव से अग्नि लाने को कहते हैं, जिससे वे युधिष्ठिर के दोनों हाथ जला सकें।आइए जानते है क्या है यह प्रसंग –
जब युधिष्ठिर जुएं में द्रोपदी को हार जाते हैं तो द्रोपदी को भरी सभा में बुला कर उसका अपमान किया जाता है। यह देखकर भीम को बहुत गुस्सा आता हैं।
भीम युधिष्ठिर से कहते हैं कि – आपने जुएं में जो धन हारा है, उससे मुझे क्रोध नहीं हैं, लेकिन द्रोपदी को आपने जो दांव पर लगाया है, यह बहुत ही गलत है।
भीम कहते हैं कि – द्रोपदी अपमान करने के योग्य नहीं है, लेकिन आपके कारण ये दुष्ट कौरव उसे कष्ट दे रहे यहीं और भरी सभा में अपमानित कर रहे हैं।
भीम युधिष्ठिर से कहते हैं कि द्रोपदी की इस दशा का कारण आप है। इसलिए मैं आपके दोनों हाथ जला डालूंगा। भीम सहदेव से आग लाने को कहते हैं।
भीम की यह बात सुनकर अर्जुन उन्हें समझाते हैं और कहते हैं कि युधिष्ठिर ने क्षत्रिय धर्म के अनुसार ही जुआ खेला हैं। इसमें इनका कोई दोष नहीं हैं।
अर्जुन की बात सुनकर भीम का क्रोध शांत हो गया और वे बोले कि ये बात मैं भी जानता हूं, नहीं तो मैं बलपूर्वक इनके दोनों हाथ अग्नि में जला डालता।