घर के द्वार बनवाते समय इन बातों का ध्यान रखें
घर के वास्तु में मुख्य द्वार के साथ ही अन्य द्वारों का अहम योगदान होता है। अगर घर के द्वार में ही वास्तु दोष हो तो यह घर के साथ ही उसमें रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी प्रभावित करते हैं। द्वार बनवाते समय इन बातों का ध्यान रखें-
- वास्तु शास्त्रियों के अनुसार घर के मुख्य द्वार के सामने मंदिर या अन्य कोई धार्मिक स्थल नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर घर के वास्तु पर इसका असर पड़ता है। मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई लेंप पोस्ट, खंभा, पिलर या वृक्ष आदि भी नहीं होने चाहिए।
- मुख्य द्वार के संबंध में वास्तु शास्त्र के विद्वानों के विभिन्न मत हैं किंतु व्यावहारिक दृष्टि से मुख्य द्वार ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए, जहां से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके व परिवार के लिए सुविधाजनक हो।
- यदि मुख्य द्वार पश्चिम में हो तो पूर्वी दिशा में भी एक द्वार बनवाया जा सकता है। यदि मुख्य द्वार दक्षिण में हो तो उत्तर में भी एक द्वार बनवा लेना चाहिए। इससे घर वालों की गति पूर्वोन्मुखी अथवा उत्तरोन्मुखी रहेगी, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक है।
- कमरे के किसी भी कोने में दीवार से करीब चार इंच की दूरी पर द्वार बनवाया जा सकता है।
- मुख्य द्वार के अतिरिक्त अन्य दरवाजों पर एक पल्ले वाला(सिंगल डोर) किवाड़ ही लगवाना चाहिए।
- दरवाजे दीवार की तरफ खुलने चाहिएं ताकि अनावश्यक जगह न घिरे।
- जिस दीवार के सहारे किंवाड़ खुलता हो, उसे दीवार में किंवाड़ के पीछे नीचे की तरफ छोटी-छोटी आलमारियां दी जा सकती हैं।
- भवन के चारों ओर द्वार बनाए जा सकते हैं किंतु ध्यान रखें कि द्वार शुभ स्थानों पर ही बनवाया जाए।
- जहां तक संभव हो, कमरे दरवाजा दीवार के मध्य न बनाएं अन्यथा कमरे का सही-सही उपयोग नहीं हो सकेगा।