सूर्य सिद्धांत
वैदिक ज्योतिष के गर्भ में झांकने पर ज्योतिष के अनसुलझे रहस्य परत दर परत खुलते जाते है. वैदिक ज्योतिष से परिचय करने में वेद और प्राचीन ऋषियों के शास्त्र, सिद्धान्त हमारे मार्गदर्शक का कार्य करते है. ज्योतिष शास्त्र के सर्वोपरि ग्रन्थ को सूर्य सिद्धान्त के नाम से जाना जता है. इस सिद्धान्त को प्रतिपादित करने वाले ऋषि सूर्य रहे है. आईए संक्षेप में हम ज्योतिष शास्त्र के इतिहास के पन्ने पलटते है, देखते है, कि क्या मिलता है.
प्राचीन भारतीय ज्योतिष :
पौराणिक काल को ज्योतिष काल का स्वर्णिम काल माना जाता है. इस काल को स्वर्णिम बनाने में 18 ऋषियों ने अपना विशेष योगदान दिया था. इन 18 ऋषियों में सबसे पहला नाम ऋषि सूर्य का था. इन्होने सूर्य सिद्धान्तों का प्रादुर्भाव किया.
इन सिद्वान्तों में ग्रहों का औसत भोगांश और ग्रहों की गति के सिद्धान्त की विधि का अच्छे ढंग से वर्णन किया गया है. यह दूसरे ग्रन्थों से अच्छा और विस्तृ्त है, किन्तु आजकल इस पुस्तक में कुछ् संशोधन किये गए है. इस शास्त्र में मुख्यत" ज्योतिष के खगोलशास्त्र पर आधारित है. तथा इसे एक टीका के रुप में लिखा गया है.
इस शास्त्र के नियमों को कई शास्त्रियो ने सम्पादित किया. परन्तु इसके सम्पादित अंश अभी उपलब्ध नही है. इस शास्त्र में जो नियम दिए गये है उसमें ब्रह्माण्डीय पिन्डों की गति को वास्तविक माना गया है. यह विभिन्न तारों की स्थितियों, चन्द्र और नक्षत्रों भी ज्ञान करता है. साथ ही इन नियमों का पालन करते हुए सूर्य ग्रहण का भी आकलन किया जा सकता है.
पितामह सिद्धान्त :
ज्योतिष के तीन स्कन्ध ज्योतिष की तीन भाग है. इसमें भी सिद्वान्त ज्योतिष सर्वोपरि है. सिद्वान्त ज्योतिष को बनाने में पौराणिक काल के उपरोक्त 18 ऋषियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इन सभी ऋषियों के शास्त्रों के नाम इन ऋषियों के नाम पर रखे गए है. इन्हीं में से एक शास्त्र पितामह सिद्धान्त है. इसे बनाने वाले ऋषि पितामह थे.
पितामह सिद्धान्त ज्योतिष् के पौराणिक काल 8300 ईसा पूर्व से 3000 वर्ष ईसा के पूर्व तक माना जाता है. इस काल में ज्योतिष के क्षेत्र में अनेक ऋषियों ने विशेष कार्य किया. इन महान ऋषियों का नाम निम्न है.
सिद्धान्त ज्योतिष के 18 ऋषियों के नाम :
कश्यपो नारदो गर्गो मरिचिमनु अंगिरा ।।
लोमश: पोलिशाशचैव च्यवनो यवनों मृगु: ।
शोनेको अष्टादशाश्चैते ज्योति: शास्त्र प्रवर्तका ।।
अर्थात वैदिक ज्योतिष को ऊंचाईयों पर ले जाने वाले ऋषियों में ऋषि सूर्य, ऋषि पितामह, ऋषि व्यास, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि अत्रि, ऋषि पराशर, ऋषि कश्यप, ऋषि नारद, ऋषि गर्ग, ऋषि मरीचि, ऋषि मनु, ऋषि अंगीरश, ऋषि लोमश, ऋषि पोलिश, ऋषि चवन, ऋषि यवन, ऋषि भृ्गु, ऋषि शौनक आते हे.
पितामह सिद्वान्त वर्णन :
पितामह सिद्वान्त को बनाने वाले ऋषि पितामह थे. पितामह सिद्धान्त एक खगोल संबन्धी शास्त्र है. इस शास्त्र में सूर्य की गति व चन्द्र संचार की गणनाओं का उल्लेख किया गया है. यह शास्त्र आज अधूरा ही उपलब्ध है.