जेपी ग्रुप की 'आखिरी' कंपनी भी हुई दिवालिया, बड़ी-बड़ी कंपनियों की है इस पर नजर
कभी देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में शामिल जयप्रकाश ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रुप की एक और कंपनी दिवालिया हो गई है। इसे खरीदने के लिए कई बड़ी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इस कंपनी पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
किसकी कितनी हिस्सेदारी
एनसीएलटी ने पीडब्ल्यूसी समर्थित भुवन मदान को कंपनी के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है, जबकि लेंडर्स ने शार्दुल अमरचंद मंगलदास को अपना एडवाइजर बनाया है। यस बैंक ने जेपी हेल्थकेयर के शेयरों को गिरवी रखकर जेपी इन्फ्राटेक को लोन दिया था। मार्च 2023 में, जेसी फ्लावर्स एआरसी ने गिरवी शेयरों को भुनाते हुए जेपी हेल्थकेयर में 63.6% हिस्सेदारी ले ली। कंपनी की बाकी हिस्सेदारी जेपी इन्फ्राटेक के पास थी। सूत्रों के मुताबिक जेपी हेल्थकेयर के अधिग्रहण में रुचि रखने वाली हॉस्पिटल चेन कंपनियों ने पहले एआरसी और सुरक्षा रियल्टी दोनों से संपर्क किया था। 36% इक्विटी हिस्सेदारी वाली सुरक्षा ने पिछले महीने एनसीएलटी के समक्ष दलील दी थी कि वह जेपी हेल्थकेयर के लेंडर्स के साथ आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के लिए बातचीत कर रही है। हालांकि एक सूत्र ने बताया कि समझौता नहीं हो पाया।इससे पहले यस बैंक ने जेपी हेल्थकेयर को एडमिट करने के लिए याचिका दायर की थी। जून 2022 में ट्रिब्यूनल ने जेपी इन्फ्राटेक के लिए समाधान योजना पारित होने तक मामले को स्थगित रखा। एनसीएलटी ने एनबीसीसी की इस दलील के आधार पर आदेश पारित किया कि जेपी इन्फ्राटेक की बोली जीतने वाली कंपनी और जेपी हेल्थकेयर के लेंडर्स के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावना है। एनबीसीसी ने भी जेपी हेल्थकेयर की मूल कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के लिए दावेदारी ठोकी थी। जेपी अस्पताल में 504 बिस्तर, 18 ऑपरेशन थियेटर और 35 स्पेशलिटीज हैं।