जेपी ग्रुप की 'आखिरी' कंपनी भी हुई दिवालिया, बड़ी-बड़ी कंपनियों की है इस पर नजर

जेपी ग्रुप की 'आखिरी' कंपनी भी हुई दिवालिया, बड़ी-बड़ी कंपनियों की है इस पर नजर

कभी देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में शामिल जयप्रकाश ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रुप की एक और कंपनी दिवालिया हो गई है। इसे खरीदने के लिए कई बड़ी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इस कंपनी पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का बकाया है।

Jaypee Group
जयप्रकाश ग्रुप (Jaiprakash Group) की एक और कंपनी दिवालिया हो गई है। एनसीएलटी ने जेपी हेल्थकेयर (Jaypee Healthcare) के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू करने का आदेश दिया है। यह जेपी ग्रुप की आखिरी मूल्यवान कंपनी है जिसे बैंकरप्सी के लिए एडमिट किया गया है। देश की कई दिग्गज कंपनियों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। इनमें फोर्टिस हेल्थकेयर, अपोलो हॉस्पिटल्स, मेदांता और मैक्स हेल्थकेयर हैं। शुक्रवार को एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा दायर याचिका पर जेपी हेल्थकेयर को कॉर्पोरेट दिवाला और समाधान प्रक्रिया के लिए स्वीकार करने का मौखिक आदेश दिया। हालांकि एनसीएलटी ने इस बारे में लिखित आदेश अब तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया है।
मनोज गौड़ प्रमोटेड जयप्रकाश एसोसिएट्स को इस महीने कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के लिए स्वीकार किया गया, जबकि सुरक्षा रियल्टी के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने पहले ही ग्रुप की एक और कंपनी जेपी इन्फ्राटेक का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। नोएडा के जेपी विश टाउन में स्थित मल्टी-स्पेशलिटी तृतीयक देखभाल अस्पताल , जेपी हेल्थकेयर जेपी इन्फ्राटेक की सहायक कंपनी है। यह नोएडा के विश टाउन में एक मल्टी-स्पेशिएलिटी टर्शियरी केयर हॉस्पिटल चलाती है। केयर रेटिंग्स के एक डिस्क्लोजर के मुताबिक कंपनी पर जेसी फ्लावर्स एआरसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्जिम बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ऑफ इंडिया का कुल करीब ₹1,000 करोड़ बकाया है। फोर्टिस हेल्थकेयर, अपोलो हॉस्पिटल्स, मेदांता और मैक्स हेल्थकेयर ने इस बारे में टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
Jaypee-Healthcare

किसकी कितनी हिस्सेदारी

एनसीएलटी ने पीडब्ल्यूसी समर्थित भुवन मदान को कंपनी के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है, जबकि लेंडर्स ने शार्दुल अमरचंद मंगलदास को अपना एडवाइजर बनाया है। यस बैंक ने जेपी हेल्थकेयर के शेयरों को गिरवी रखकर जेपी इन्फ्राटेक को लोन दिया था। मार्च 2023 में, जेसी फ्लावर्स एआरसी ने गिरवी शेयरों को भुनाते हुए जेपी हेल्थकेयर में 63.6% हिस्सेदारी ले ली। कंपनी की बाकी हिस्सेदारी जेपी इन्फ्राटेक के पास थी। सूत्रों के मुताबिक जेपी हेल्थकेयर के अधिग्रहण में रुचि रखने वाली हॉस्पिटल चेन कंपनियों ने पहले एआरसी और सुरक्षा रियल्टी दोनों से संपर्क किया था। 36% इक्विटी हिस्सेदारी वाली सुरक्षा ने पिछले महीने एनसीएलटी के समक्ष दलील दी थी कि वह जेपी हेल्थकेयर के लेंडर्स के साथ आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के लिए बातचीत कर रही है। हालांकि एक सूत्र ने बताया कि समझौता नहीं हो पाया।
इससे पहले यस बैंक ने जेपी हेल्थकेयर को एडमिट करने के लिए याचिका दायर की थी। जून 2022 में ट्रिब्यूनल ने जेपी इन्फ्राटेक के लिए समाधान योजना पारित होने तक मामले को स्थगित रखा। एनसीएलटी ने एनबीसीसी की इस दलील के आधार पर आदेश पारित किया कि जेपी इन्फ्राटेक की बोली जीतने वाली कंपनी और जेपी हेल्थकेयर के लेंडर्स के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावना है। एनबीसीसी ने भी जेपी हेल्थकेयर की मूल कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के लिए दावेदारी ठोकी थी। जेपी अस्पताल में 504 बिस्तर, 18 ऑपरेशन थियेटर और 35 स्पेशलिटीज हैं।