योग फल - शूल योग
योग, मूल रूप से, सूर्य और चंद्रमा के संयोजन का उल्लेख करते हैं, जब एक नक्षत्र में जन्म होता है। वैदिक ज्योतिष में प्रतिपादित सत्ताईस नक्षत्रों के आधार पर कुल 27 विभिन्न योग हैं। ज्योतिषीय संयोजन या निति योग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व लक्षणों को समझने में मदद करते हैं। नित्य योग की गणना गणितीय रूप से चंद्रमा और सूर्य के अनुदैर्ध्य को जोड़कर की जाती है और योग को 13 डिग्री और 20 मिनट से विभाजित किया जाता है।
शूल योग :
शूल योग जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि शूल अर्थात कांटे, इस प्रकार इस योग में उत्पन्न लोगों के जीवन में शूल के समान दर्द अवश्य प्रतीत होता हैं, सामान्यतः प्रारंभिक जीवन से अनुमान लग जाता है कि स्तिथियाँ बहुत अच्छी नहीं होने वाली, ऐसी स्तिथि में भी मध्य प्रारंभिक जीवन इनका सामान्य रूप से सुखद रहता है, एवं इन्हें मित्रों का सुख एवं प्रारंभिक शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है, किन्तु स्तिथियाँ बदलती हैं, एवं कांटे दिखाई देने लगते हैं।
इस योग में जन्मे लोगों का शारीरिक रूप से गठन अच्छा होता है, एवं ये सामान्यतः कसरती या हष्ट पुष्ट शरीर के स्वामी होते हैं, इस प्रकार शारीरिक क्षमता जीवन में आगे आने वाली समस्याओं को झेलने में इन्हें लाभ प्रदान करती है, इस योग में जन्मे लोग प्रखर बुद्धि एवं विस्तृत चिंतन के स्वामी होते हैं, इस प्रकार इनका जीवन धार्मिक ग्रंथो के अध्ययन एवं गहन आध्यात्मिक ज्ञान कि प्राप्ति करने में सक्षम होता है, कई बार ये आध्यात्मिक एवं धार्मिक अनुष्ठानो का ज्ञान भी रखतें हैं, इनके पास आध्यात्मिक ज्ञान के साथ ही धन प्राप्त करने के लिए आवश्यक व्यापारिक ज्ञान भी होता है, किन्तु ये व्यापार के भ्रष्ट माध्यमो से दूरी बनाते हैं, इस प्रकार का जीवन एवं नैतिक मूल्य होने पर भी इन्हें जीवन में कई कष्टों एवं निकट सम्बन्धियों के द्वारा छल कपट का सामना करना ही पड़ता हैं, जो संभवतः प्रारब्ध से सम्बंधित है। सभी प्रकार के सम्बन्धी एवं विशेषतः मातृपक्ष द्वारा इनके पिता के परिवार के प्रति अनावश्यक शत्रु भाव इन्हें प्रारंभिक क्षति पहुंचता है। इस प्रकार धीरे धीरे ,सभी सम्बन्धियों की ओर से इर्ष्या एवं छल कपट को देखकर, इनका सम्बन्धियों एवं अन्य लोगों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है, एवं आसानी से कोई भी व्यक्ति इस स्तिथि का आकलन नहीं लगा पाता, बल्कि संशय से भरा होता है, इनकी जीवन शैली इनके मित्र, शत्रु सभी के लिए भ्रामक स्तिथि उत्पन्न करने वाली होती है, कई बार तो इनका व्यवहार मनोवैज्ञानिको को भी भ्रम में डाल देता है।
कई प्रकार के घात एवं लोगों के द्वारा छल कपट को सहन करने के पश्चात इस योग में जन्मे लोगों में लगभग सभी शत्रुओं को प्रत्युतर देने की क्षमता एवं शक्ति सदैव होती है। शक्ति एवं सामर्थ्य होने पर भी सामान्यतः ये लोग दृष्टिकोण रखतें है, कि इन के जीवन में सभी दुखों एवं कष्टों का कारण कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि इनका स्वयं का प्रारब्ध है, इस प्रकार सामान्यतः मित्रों एवं शत्रुओं से समभाव रखते हुए ये लोग जीवन यात्रा को साक्षी भाव से देखतें हैं।
ध्यान रहे भौतिक सुख इस योग में घटित होते हैं, तो केवल सन्यास का माध्यम बनकर।