भगवान राम से पहले भी 4 महाबलियों से हार चुका था रावण, भागकर बचाई थी जान

भगवान राम से पहले भी 4 महाबलियों से हार चुका था रावण, भागकर बचाई थी जान

इस दिन सभी लोग देवी माँ का उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक ढंग से आराधना एवं पूजा अर्चना करते हैं| ऐसा माना जाता है कि देवी माँ कि प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए उपवास रखें जाते हैं ताकि देवी माँ की कृपा सदा बनी रहे और आदि शक्ति की मेहर से संसार के भाव सागर को पार किया जा सके|
सात दिनों तक उपवास रख कर आठवे दिन अष्टमी का प्रोग्राम रखा जाता है जिसमे ९ कन्याओ को भोजन के लिए घर मे आमंत्रित किया जाता है| यथा हेतु कन्याओं को दान दक्षिणा भी दी जाती है तथा नवमी की तयारी शुरू कर दी जाती है| कई लोग नवमी पर भी कन्याओं को भोजन करवाते हैं |

दुर्गा नवमी मंत्र -

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।“


दुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है। जिसे शतावरी या नारायणी भी कहते हैं| शतावरी बल बुधि एवं वीर्ये के लिए उत्तम औषधि मानी जाती है| इस औषधि को हृदय की गति तेज करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है| सभी प्रकार की रिद्धि-सिद्धियों को प्रदान कर माता भक्तो को निहाल करती है| नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं।
अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।

बालि से रावण की हार
- एक बार रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुंच गया था। बालि उस समय पूजा कर रहा था। रावण बार-बार बालि को ललकार रहा था।
-जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। जब रावण नहीं माना तो बालि ने उसे अपनी बाजू में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी।
- बालि बहुत शक्तिशाली था और इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था।
- इस प्रकार परिक्रमा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। जब तक बालि ने परिक्रमा की और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया तब तक रावण को अपने बाजू में दबाकर ही रखा था।
-रावण ने बहुत प्रयास किया, लेकिन वह बालि की पकड़ से आजाद नहीं हो पाया। पूजा के बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था। इसके बाद रावण ने बालि से मित्रता कर ली थी।

सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण की हार
- सहस्त्रबाहु अर्जुन एक क्षत्रिय राजा था जिसके एक हजार हाथ थे और इसी वजह से उसे सहस्त्रबाहु अर्जुन भी कहते थे।
-एक बार जब रावण अपनी सेना लेकर सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंचा तो सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था।
- सहस्त्रबाहु ने नर्मदा के पानी के बहाव को अपने हाथों से रोक दिया और थोड़ी देर बाद पानी छोड़ दिया, जिससे रावण पूरी सेना के साथ ही नर्मदा में बह गया था।
- इस पराजय के बाद एक बार फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया था, तब सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था।
- जब यह बात रावण के दादा महर्षि पुलस्त्य को पता चली तो उन्होने सहस्त्रबाहु अर्जुन से कहकर रावण को आजाद कराया।
राजा बलि के महल में रावण की हार
- दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था।
- वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था।
- इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई। इसके बाद बड़ी मुश्किल से रावण वहां से भागने में कामयाब रहा था।

शिवजी से रावण की हार
- रावण को अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था। रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया था।
- रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा।
- तब शिवजी ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया।
- इस हार के बाद रावण ने शिवजी को अपना गुरु बनाया था और उनकी उपासना करने लगा था।