करें ये उपाय, तुरंत संकटों से निजात पाएं
मंदिर, दरगाह, बाबा, ज्योतिष, गुरु, देवी-देवता आदि सभी जगहों पर भटकने के बाद भी कोई शांति और सुख नहीं मिल रहा और संकटों का जरा भी समाधान नहीं हो रहा हो, साथ ही मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा हो तो आप आजमाएं हमारे द्वारा बताए गए उपाय जिन्हें करने से तुरंत ही मिलेगा आपको सभी कष्टों से छुटकारा।
शास्त्रों के अनुसार इसके लिए 3 शर्तों का पालन करना जरूरी है। यदि आप शर्तों का पालन करते हैं, तो ही अगले पन्नों पर जाएं। पहली शर्त यह कि किसी भी प्रकार का नशा नहीं करेंगे। दूसरी यह कि घर की स्त्रियों का पूर्ण सम्मान करेंगे। तीसरी यह कि खुद के बारे में और दूसरों के बारे में कुछ भी नकारात्मक न तो सोचेंगे और न बोलेंगे। यदि आप यह उपाय न भी करें तो अंतिम उपाय ही कर लेंगे तो सौ फीसदी आपके अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे।
कर्पूर जलाना :
प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।
घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा।
हनुमान चालीसा पढ़ना :
प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है।
भोग :
धूप, दीप, चंदन, कुमकुम, अष्टगंध, जल, अगर, कर्पूर, घृत, गुड़, घी, पुष्प, फल, पंचामृत, पंचगव्य, नैवेद्य, हवन, शंख, घंटा, रंगोली, माँडना, आँगन-अलंकरण, तुलसी, तिलक, मौली (कलाई पर बाँधे जाने वाला नाड़ा), स्वस्तिक, ओम, पीपल, आम और कैले के पत्तों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। भोजन करने के पूर्व कुछ मात्रा में भोजन को अग्नि को समर्पित करने से वैश्वदेव यज्ञ पूर्ण होता है।
इसके अलावा गुड़ और घी की धुप : हिंदू धर्म में धूप देने और दीप जलाने का बहुत ज्यादा महत्व है। सामान्य तौर पर धूप दो तरह से ही दी जाती है। पहला गुग्गुल-कर्पूर से और दूसरा गुड़-घी मिलाकर जलते कंडे पर उसे रखा जाता है। यहां गुड़-घी व चावल से दी गई धूप का खास महत्व है।
धूप देने के नियम :
रोज धूप नहीं दे पाएं तो तेरस, चौदस, और अमावस्या, चौदस तथा पूर्णिमा को सुबह-शाम धूप अवश्य देना चाहिए। सुबह दी जाने वाली धूप देवगणों के लिए और शाम को दी जाने वाली धूप पितरों के लिए। पितरों के लिए सिर्फ श्राद्ध पक्ष में ही धूप दें तो अच्छा रहेगा।
धूप देने के पूर्व घर की सफाई कर दें। पवित्र होकर-रहकर ही धूप दें। धूप ईशान कोण में ही दें। घर के सभी कमरों में धूप की सुगंध फैल जाना चाहिए। धूप देने और धूप का असर रहे तब तक किसी भी प्रकार का संगीत नहीं बजाना चाहिए। हो सके तो कम से कम बात करना चाहिए।
नारियल का उतारा :
पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें।
उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है। प्रति गुरुवार को मंदिर जाएं : शिव के मंदिर में सोमवार, हनुमान के मंदिर में मंगलवार, दुर्गा के मंदिर में बुधवार, काली और लक्ष्मी के मंदिर में शुक्रवार, शनि के मंदिर में शनिवार और विष्णु के मंदिर में रविवार को जाने का उल्लेख मिलता है। गुरुवार को गुरुओं का वार माना गया है। हालांकि गुरुवार का महत्व इसलिए नहीं है कि वह गुरुओं का वार है। दरअसल, रविवार की दिशा पूर्व है किंतु गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही सभी देवताओं का स्थान माना गया है इसलिए जो व्यक्ति गुरुवार को मंदिर जाता है वह सभी देवताओं को प्रसन्न करता है। देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं।
हिन्दू धर्म में रविवार और गुरुवार को पवित्र और सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन मंदिर जाने का महत्व अधिक है। दोनों में गुरुवार को प्रथम माना गया है। प्रतिदिन मंदिर जाने से सकारात्मक भावना का विकास होगा और यह आपके मन और मस्तिष्क के लिए जरूरी है। यह भावना कई तरह के संकटों से बचा लेती है।
शास्त्रोक्त समय का रखें ध्यान :
पूर्णिमा और अमावस्या : मान्यता के अनुसार कुछ खास दिनों में कुछ खास कार्य करने से बचना चाहिए। खास कार्य ही नहीं करना चाहिए बल्कि अपने व्यवहार को भी संयमित रखना चाहिए। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि प्रतिपदा, ग्यारस, तेरस, चौदस, पूर्णिमा, अमावस्या, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण उक्त 8 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है, क्योंकि इन दिनों में देव और असुर सक्रिय रहते हैं। इसके अलावा सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के बाद भी सतर्क रहने की जरूरत है। सूर्यास्त के बाद दिन अस्त तक के काल को महाकाल का समय कहा जाता है। सूर्योदय के पहले के काल को देवकाल कहा जाता है। उक्त काल में कभी भी नकारात्मक बोलना या सोचना नहीं चाहिए अन्यथा वैसा ही घटित होने लगता है।
सच बोलें, वादा निभाएं :
प्रचलित मान्यता और जनश्रुति के अनुसार आपको आपके पितर और देवता सुन रहे हैं। आप जो कुछ भी बोलते हैं वह आवाज या ध्वनि विद्यमान रहती है। आपके बोलने का असर होता है। देवता उनके साथ है, जो सच बोलते और वादा निभाते हैं। बहुत से लोग अपने स्वार्थ के लिए या निष्प्रयोजन झूठ बोलते रहते हैं। वे हर वक्त झूठी कसम खाते रहते हैं। उनमें भी वे लोग अपराधी हैं, जो कसम खाकर, झूठ बोलकर और धोखा देकर अपना माल बेचते या व्यापार करते हैं। बहुत से लोग कई तरह का वादा करके मुकर जाते हैं। यदि आप में इस तरह की आदत है तो इसे सुधारना जरूरी है अन्यथा आपकी प्रार्थनाओं और कामनाओं का कोई महत्व नहीं।
गाय, कुत्ते, चींटी और पक्षियों को भोजन खिलाएं :
वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करने से इनकी हर तरह से दुआ मिलती है। इसे वेदों के पंचयज्ञ में से एक 'वैश्वदेव यज्ञ कर्म' कहा गया है। यह सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। कछुओं और मछलियों को नित्य आटे की गोलियां खिलाएं और चीटियों को भुने हुए आटे में बूरा मिलाकर बनाई पंजीरी खिलाएं।
कालिका माता से क्षमा :
अगर किसी मानसिक कलह, तनाव या परेशानी से जूझ रहे हैं तो शुक्रवार के दिन मां कालिका के मंदिर में जाकर उनसे अपने द्वारा किए गए सभी जाने-अनजाने पापों की क्षमा मांग लें और फिर कभी कोई बुरा कार्य नहीं करने का वादा कर लें। ध्यान रहे, वादा निभा सकते हों तो ही करें अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। यदि आपने ऐसा 5 शुक्रवार को कर लिया तो तुरंत ही आपके संकट दूर हो जाएंगे। 11 या 21 शुक्रवार कालिका के मंदिर जाएं और क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद बांटें। माता कालिका की पूजा लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करके भी कर सकते हैं। भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाइयों को भी चढ़ा सकते हैं।
अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं, तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन बहुत ही सुखद हो जाता है।
जल अर्पण :
एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को अपने सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें। ऐसा कुछ दिनों तक करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी।
हनुमानजी को चढ़ाएं चोला :
5 बार हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो तुरंत ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बढ़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करें।
छाया दान करें :
शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
जप से मिलेगी संकटों से मुक्ति :
सभी तरह के बुरे काम छोड़कर प्रतिदिन राम के नाम, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कर दें। ध्यान रहे इसमें से किसी एक मंत्र का जाप ही करें। कम से कम 43 दिनों तक लगातार इसका जाप सुबह और शाम नियम से करें। इस जाप का असर जब शुरू होगा तो संकट भी धीरे धीरे दूर होने लगेगा। उक्त जाप के दौरान झूठ न बोलें, तामसिक भोजन न करें और किसी भी प्रकार का नशा न करें अन्यथा इसके बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। राम का नाम तो आप दिनभर जप सकते हैं। कलियुग में राम के नाम से बड़ा कोई उपाय नहीं। (समाप्त)