शास्त्रानुसार इन बातों के कारण खाना ठीक से पचता नहीं है

शास्त्रानुसार इन बातों के कारण खाना ठीक से पचता नहीं है

यदि खाया हुआ भोजन व्यवस्थित ढंग से पच जाता है तो शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। पाचन में गड़बड़ी होने पर न तो ऊर्जा मिलती है और ना ही संतुष्टि मिलती है। पाचन तंत्र सही ढंग से काम कर सके, इसके लिए दैनिक जीवन में योगासन और शारीरिक परिश्रम भी शामिल करना चाहिए। इनके साथ ही खाना खाते समय हमारा मन प्रसन्न होना चाहिए और शांति के साथ खाना करना चाहिए, अन्यथा पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। यहां जानिए शास्त्रों में बताई गई 5 ऐसी दशाएं (हाव-भाव), जिनमें भोजन करने पर पाचन ठीक से नहीं हो पाता है।

1. खाने खाते समय किसी से जलन का भाव होना
जब हम भोजन कर रह रहे हैं, यदि उस समय हम किसी अन्य व्यक्ति के प्रति जलन का भाव रखेंगे तो वह खाना पचता नहीं है। जलन यानी ईर्ष्या एक बुराई है और इससे दूर रहना चाहिए। खाने से पहले इस भाव को छोड़ें और फिर शांति से भोजन करें।
2. डरते-डरते भोजन करना
यदि कोई व्यक्ति डरा हुआ है और इसी हाव-भाव में ही भोजन कर रहा है तो ऐसा भोजन भी पचता नहीं है। व्यक्ति को अपना डर दूर करने के बाद शांत होकर ही भोजन करना चाहिए। अन्यथा पाचन की गड़बड़ी से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
3. क्रोध करते हुए भोजन करना
क्रोध कई प्रकार की परेशानियों को जन्म देता है और यदि क्रोध करते-करते खाना खाएंगे तो ये भाव अपच की परेशानी भी उत्पन्न कर देगा। क्रोध के कारण शरीर का रक्त संचार पूरी तरह प्रभावित हो जाता है और इस वजह से पाचन तंत्र भी ठीक से काम नहीं कर पाता है।
4. दूसरों की संपत्ति के लिए लालच होना
खाना खाते समय किसी दूसरे की संपत्ति के लिए मन में लालच का भाव है तो ऐसे समय में किया हुआ भोजन भी पचता नहीं है। दूसरों की संपत्ति को हड़पने की सोच रखना भी पाप ही माना गया है। इस अवस्था के कारण हमारा पूरा ध्यान लालच में ही होता है खाने में नहीं। सही पाचन के लिए भोजन करते समय हमारा ध्यान खाने में ही होना चाहिए, इधर-उधर की बातें भी नहीं करना चाहिए।
5. बीमारी की अवस्था में किया गया गया भोजन
यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो पहले रोग का उचित उपचार करना चाहिए। शरीर की पूरी ऊर्जा रोग से लड़ने में खर्च होती है, पाचन तंत्र भी ठीक से काम नहीं कर पाता है। इसी कारण बीमारी में फल और हल्का खाना खाने की सलाह दी जाती है। फल आसानी से पच जाते हैं। अत: ऐसी अवस्था में सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।