यछाया कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन धान्य समृधि में देही दापय स्वाहा: ||भगवान् शंकर ने इस मंत्र को रावण को बताया था।मंत्र प्रयोग से पहले गणपति की साधना जरुरी है ।
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