इन तरह से करेंगे पूजा तो ही मिलेगा भगवान का शुभ आशीष

इन तरह से करेंगे पूजा तो ही मिलेगा भगवान का शुभ आशीष

पूजा करना सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। ईश्वर ने हमें जीवन दिया है, हम उसे कैसे धन्यवाद दें। इसके समाधान हेतु हमारे शास्त्रों ने दैनिक पूजा का विधान बताया है। पूजा करने के विलग-विलग उद्देश्य होते हैं उनमें सर्वश्रेष्ठ व पवित्र उद्देश्य है ईश्वर के प्रति अपना प्रेम व कृतज्ञता ज्ञापित करना।

पूजा का तरीका व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर है लेकिन हमारे शास्त्रों में पूजा करने के कुछ अनिवार्य अंग बताए गए हैं जिन्हें 'पंचोपचार', 'दशोपचार' व 'षोडषोपचार' पूजन कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इन उपचार पूजनों के अंतर्गत क्या अनिवार्य हैं।
पंचोपचार पूजन-
1. गंध
2. पुष्प
3. धूप
4. दीप
5. नैवेद्य

दशोपचार-
1. पाद्य
2. अर्घ्य
3. आचमन
4. स्नान
5. वस्त्र
6. गंध
7. पुष्प
8. धूप
9. दीप
10. नैवेद्य

षोडशोपचार-
1. पाद्य
2. अर्घ्य
3. आचमन
4. स्नान
5. वस्त्र
6. आभूषण
7. गंध
8. पुष्प
9. धूप
10. दीप
11. नैवेद्य
12. आचमन
13. ताम्बूल
14. स्तवन पाठ
15. तर्पण
16. नमस्कार